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देश के टॉप संस्थानों में शामिल आईआईटी बॉम्बे में 2024-25 का नया बैच प्रवेश ले चुका है। 2020 में यूजी प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले छात्र बीटेक पूरी कर चुके हैं। संस्थान के छात्रों ने इस धारणा को तोड़ दिया है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और इंजीनियर का बे
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आईआईटी की स्टूडेंट बॉडी इनसाइट की ओर से प्रायाेजित सीनियर सर्वे-क्लास 2024 के सर्वे में सामने आया है कि फाइनल ईयर पास करने वाले 78% स्टूडेंट्स के परिवार के किसी भी सदस्य ने आईआईटी से पढ़ाई नहीं की है। 290 में से 228 छात्र नॉन आईआईटी बैकग्राउंड से हैं। 5% छात्रों के अभिभावक और 9% स्टूडेंट्स के भाई या बहन आईआईटी से हैं।
हर साल आईआईटी एंट्रेंस के टॉपर्स इसी संस्थान में दाखिला लेते हैं। दूसरी ओर, महानगरों के बाद संस्थान में सबसे अधिक छात्र छोटे शहरों से हैं। 290 में से 116 महानगरों, 82 छोटे शहरों, 57 शहरों और 35 छात्र गांवों से हैं। सर्वे में सवाल पूछा गया कि ग्रेजुएशन के बाद आप कौनसा एग्जाम देना चाहते हैं। 99 छात्रों ने आगे किसी भी प्रकार का एग्जाम देने से मना कर दिया, जबकि 77 ने आईआईएम एंट्रेंस कैट और बाहर जाने के लिए अंग्रेजी भाषा की परीक्षा टॉफेल देने की इच्छा 76 छात्रों ने जताई। इसी प्रकार जीमैट 73 और यूपीएससी की परीक्षा 42 और गेट तथा आईआईटी जैम 29 छात्र देना चाहते हैं।
बड़े पैकेज पर किसी भी शहर में जाने काे तैयार
ज्यादातर छात्रों ने पैकेज और कार्यक्षेत्र काे ऊपर रखा। यानी छात्र किसी भी शहर में जाकर काम करने काे तैयार हैं, बशर्ते उन्हें अच्छा पैकेज मिल रहा हो। वर्क कल्चर को भी जॉब चुनते समय एक बड़ा फैक्टर बताया है। कोर्स के बारे में 178 छात्रों का कहना था कि थ्योरिटिकल कोर्स अधिक है, लेकिन रिसर्च के लिए बहुत बेहतर है। 152 ने माना है कि अभी भी काेर्स को इंडस्ट्री के अनुसार बनाया जाना चाहिए। 175 छात्र कोर्स और पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स को देखकर ही क्लास में जाते हैं। 12 छात्र मानते हैं कि स्टडी मैटेरियल ऑनलाइन उपलब्ध है। इस वजह से क्लास में जाने की आवश्यकता नहीं है।
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