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रेवाड़ी के बावल में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह।
हरियाणा में गुरुग्राम से मौजूदा सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने मंगलवार को अपनी ही पार्टी BJP को घेरने का किया। राव इंद्रजीत सिंह बोले-मेरे पास सारे हरियाणा से रिपोर्ट आ रही है। इस बार लोकसभा चुनाव में पूरे दक्षिणी हरियाणा
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गांव में एक कहावत हैं कि 12 साल में तो कूड़ी का भी नंबर आ जाता है। दस साल तक हमने बीजेपी की सरकार बनाई। हम कूड़ी से भी गए-गुजरे (बुरे) तो नहीं है। मतलब अब हो सकता है कि हमारा ही नंबर आ जाए। राव इंद्रजीत सिंह रेवाड़ी के बावल विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
राव इंद्रजीत सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बावल सीट पर कई दावेदार थे लेकिन जो सर्वे में सबसे ऊपर था पार्टी ने उसे टिकट दे दी। डा. बनवारी लाल ने बावल में काम किया है। लेकिन एंटी इनकंबेंसी भी एक कारण रही। अब पार्टी के फैसले के अनुरूप कैंडिडेट को जिताना हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि जिस हलके में 2019 में मुझे 70 हजार से ज्यादा की लीड मिली। इस बार मात्र 22 हजार रह गई। कुछ ना कुछ तो गड़बड़ हुई है। उन्होंने कहा कि ये गड़बड़ इस बार नहीं होनी चाहिए।
सीएम पद भी ठोक चुके दावा
बता दें कि 9 सितंबर को रेवाड़ी में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव का नामांकन भरवाने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने सीएम पद पर दावा ठोका था। उनका कहना था ”यहां की जनता चाहती है कि मैं सीएम बनूं। अगर यहां की जनता ने भाजपा का साथ न दिया होता तो मनोहर लाल खट्टर 2 बार हरियाणा के सीएम न बनते।”
राव इंद्रजीत सिंह ने खुद संभाली प्रचार की कमान
दरअसल, रामपुरा हाउस यानी राव इंद्रजीत सिंह के परिवार का अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर दबदबा है। इनमें गुरुग्राम, रेवाड़ी, नूंह और महेंद्रगढ़ जिलों की अलग-अलग विधानसभा सीटें शामिल हैं। राव इंद्रजीत सिंह के कहने पर इस बार बीजेपी ने उनकी बेटी आरती राव को अटेली, अनिल डहीना को कोसली, डॉ. कृष्ण कुमार को बावल, ओमप्रकाश यादव को नारनौल, बिमला चौधरी को पटौदी से टिकट दी है। जबकि राव इंद्रजीत सिंह की पसंद के चलते भाजपा के पुराने नेता रेवाड़ी में लक्ष्मण सिंह यादव और गुरुग्राम में मुकेश शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है।
कमजोर हो रही रामपुरा हाउस की पकड़
दशकों तक राव इंद्रजीत सिंह के परिवार की इस पूरे इलाके में मजबूत पकड़ रही है। लेकिन अब रामपुरा हाउस की पकड़ कमजोर होती आ रही है। इसकी एक झलक चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव ही नहीं, बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी। राव इंद्रजीत सिंह खुद इस बार लड़खड़ाते हुए लोकसभा चुनाव जीते। जबकि 2019 के चुनाव में रेवाड़ी सीट पर पूरा दम लगाने के बाद भी राव इंद्रजीत सिंह अपने समर्थक सुनील मुसेपुर को वहीं जिता पाए थे।
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