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अमेरिका के साथ-साथ पश्चिमी देशों में प्रवासी भारतीयों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. अमेरिका की इकोनॉमी में उनकी खास भागीदारी भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बात सामने आई है कि भारतीय मूल के अमेरिकी लोग अमेरिका में सबसे अधिक आय जुटाने वाला जातीय समूह बन गया है.
अमेरिका की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में भी भारतीय महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं, जैसे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और स्टारबक्स के सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन शामिल है. इन महत्वपूर्ण भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिका में भारत के पक्ष में सकारात्मक माहौल तैयार करने का काम किया है, लेकिन यही बात पाकिस्तान को अंदर ही अंदर खाए जा रही है. यही कारण है कि भारतीयों की अमेरिका में बढ़ती आबादी पाकिस्तान एक्सपर्ट के लिए टेंशन बन गई है.
पाकिस्तानी अमेरिकी अर्थशास्त्री शाहिद जावेद बर्की का कहना है कि अमेरिका की बढ़ती आबादी पाकिस्तान के लिए खतरा है. बर्की वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष के साथ-साथ पाकिस्तान की केयरटेकर गवर्नमेंट में कार्यवाहक वित्त मंत्री भी रह चुके हैं. पाकिस्तानी अखबार ट्रिब्यून में छपे एक लेख में बर्की की ओर से यह कहा गया कि प्रवासी भारतीय मोदी के लिए ताकत है.
ट्रिब्यून के लेख में बर्की ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के नीती निर्माता को यह समझना पड़ेगा कि न केवल भारत बल्कि पश्चिमी देशों में भी बड़े पैमाने पर भारतीय मूल के लोग मोदी के नक्शे कदम पर चलकर हिंदू राष्ट्रवाद के उदय पर किस तरह से रिएक्शन दे रहे हैं. बर्की का साफ कहना है कि इसमें कोई दो राहें नहीं है कि भारतीयों की अमेरिका में बढ़ती आबादी से पाकिस्तान पर असर पड़ेगा.
भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए बर्की ने कहा कि भारत पाकिस्तान से दुश्मनी रखता है. वहीं अमेरिकी जनगणना आंकड़े का भी जिक्र करते हुए बर्की ने अनुमान लगाया कि अमेरिका में इस समय भारतीय मूल के 40 लाख लोग रहते हैं, जो अमेरिकी आबादी का 1.4 फीसदी हैं.
बर्की का कहना है कि पिछले 100 सालों में अमेरिका में भारतीय प्रवासियों की आबादी सबसे ज्यादा बढ़ गई है. साल 1920 तक भारतीय मूल के अमेरिकियों की आबादी 6400 थी. अमेरिका में भारतीयों की सबसे ज्यादा आबादी सिएटल, पूर्वी, न्यू जर्सी और कैलिफोर्निया क्षेत्र में मौजूद है.
बर्की ने यह भी बताया कि 2023 में वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष के रूप में भारतीय सिख अजय बंगा को अप्वॉइंट किया गया था और इसे भारतीयों की बढ़ती ताकत के रूप में भी बताया गया. बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और विकास अर्थशास्त्र के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भारतीय मूल के इंदरमीत गिल हैं. उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में वर्ल्ड बैंक में पाकिस्तानी मूल के तीन लोग उपाध्यक्ष थे, जिनमें से एक वह खुद थे और तब तक कोई भी भारतीय वहां नहीं था. यहां तक की निदेशक भी नहीं था.
बर्की ने कमला हैरिस का भी जिक्र किया जो राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हैं. वह भी भारतीय मूल की हैं. कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लेने वाली पहली भारतीय अमेरिकी नहीं है. आईटी उद्यमी विवेक रामास्वामी और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने भी रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी हुई थीं.
Published at : 17 Sep 2024 07:53 AM (IST)
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