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दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी को एक युवक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। युवक की MCD के स्वामित्व वाले क्वार्टर में स्लैब गिरने से मौत हो गई थी।
एमसीडी क्वार्टर में स्लैब गिरने से 17 वर्षीय युवक सोनू की मौत मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि परिसर के उचित रखरखाव की जिम्मेदारी निगम की है। ऐसे में निगम का कर्तव्य है कि वह इसे इस तरह से बनाए रखे जिससे राहगीरों या उस स्थान में मौजूद लोगों के जीवन को खतरा न हो। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने अपने फैसले में कहा कि यह बात निर्णायक रूप से स्थापित हुई है कि युवक की मौत एमसीडी के स्वामित्व वाले फ्लैट में स्लैब गिरने के कारण हुई थी।
अदालत ने यह भी कहा कि परिसर का उचित रखरखाव करने में एमसीडी की लापरवाही स्पष्ट रूप से सामने आई है। एमसीडी का यह आरोप कि मृतक दुर्भावनापूर्ण इरादे से परिसर में दाखिल हुआ था, इसमें कोई दम नहीं है। संबंधित क्वार्टर/फ्लैट एमसीडी के स्वामित्व में हैं। फिर भी वह संपत्ति के उचित रखरखाव के अपने दावे को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश करने में विफल रही है। ऐसे में सोनू के परिजनों को मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए।
बता दें कि सोनू जुलाई 2007 में घर लौट रहा था। इसी दौरान सिविक एजेंसी के स्वामित्व वाले एक फ्लैट से स्लैब उस पर गिर गया। परिवार के वकील ने दावा किया कि क्वार्टर खतरनाक स्थिति में था और इसके बारे में एमसीडी को जानकारी थी। वकील ने यह भी दावा किया कि वहां कोई चौकीदार, बाड़ या साइनबोर्ड नहीं था जिससे राहगीरों को खतरे के बारे में जानकारी मिलती। इसके कारण यह घटना हुई।
वकील ने दावा किया कि वहां कोई चौकीदार, बाड़ या साइनबोर्ड नहीं था जो राहगीरों को खतरे के बारे में चेतावनी दे सके। यह दावा किया गया था कि युवक 11वीं कक्षा में एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहा था और वह स्कूल की जूनियर कबड्डी टीम का कप्तान और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का सदस्य था। मुआवजे की याचिका का एमसीडी के वकील ने विरोध किया और दलील दी कि नगर निकाय की ओर से कोई चूक नहीं हुई है। एमसीडी के वकील ने दावा किया कि युवक चोरी के मकसद से परिसर में दाखिल हुआ होगा और उसकी मौत हो गई।
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