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दिल्ली पुलिस ने नरेला के 30 साल पुराने हत्याकांड मामले में फरार चल रहे दूसरे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान 60 वर्षीय दयाराम के रूप में हुई है।
दिल्ली पुलिस ने नरेला के 30 साल पुराने हत्याकांड मामले में फरार चल रहे दूसरे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान 60 वर्षीय दयाराम के रूप में हुई है। नरेला में 30 साल कथित तौर पर एक व्यक्ति की इसलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उसने अपनी बेटी की शादी आरोपी के रिश्तेदार से करने से इनकार कर दिया था।
अधिकारियों ने रविवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी दया राम को महरौली में राष्ट्रीय टीबी एवं सांस रोग संस्थान के बाहर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि दया राम टीबी का मरीज है और इलाज कराने के लिए दिल्ली आया था।
इस साल जुलाई में पुलिस ने मामले में पहले आरोपी प्रेम नारायण को गिरफ्तार किया था। वह उस व्यक्ति का चचेरा भाई है, जो मृतक शंभू दयाल की बेटी से शादी करना चाहता था। सितंबर 1993 में शंभू दयाल का शव नरेला के एक खेत में मिला था। पुलिस ने बताया कि शंभू ने अपनी 18 वर्षीय बेटी की शादी एक ऐसे व्यक्ति से करने से इनकार कर दिया था, जो नशे का आदी था। इसके बाद उसके परिवार के कुछ सदस्यों ने शंभू की चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी।
पुलिस ने बताया कि इस साल सितंबर में उन्हें पता चला कि आरोपियों में से एक दयाराम कानपुर में रहता है और दिल्ली आने वाला है।
आरोपी को पकड़े के लिए 2 सप्ताह अस्पताल के बाहर डटी रही पुलिस
डीसीपी अमित गोयल (क्राइम ब्रांच) ने बताया कि इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में इस मामले की जांच कर रही एक टीम ने पाया कि दयाराम टीबी का मरीज है। डीसीपी ने बताया कि कई छापे मारे गए और पता चला कि वह हाल ही में दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिजीज हॉस्पिटल, महरौली में इलाज के लिए आया था। दो सप्ताह तक टीम ने रेकी की और अस्पताल के बाहर रही। टीम ने उसके मेडिकल रिकॉर्ड भी हासिल किए।
पुलिस ने बताया कि शनिवार को जब उसे अस्पताल से छुट्टी मिली तो पुलिस टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि हत्या के बाद दयाराम कभी अपने घर नहीं लौटा और पास के एक गांव में राजमिस्त्री का काम करने लगा।
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, “उसने फोन का इस्तेमाल करना भी बंद कर दिया और अपने गांव के पास कभी-कभी अपने परिजनों से मिलने जाता था। 30 साल तक उसने पुलिस से बचने के लिए अपने परिवार के अधिकांश सदस्यों से संपर्क तोड़ दिया था।”
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