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बारिश के कारण रिम्स और सदर सहित निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में सर्पदंश के मरीज पहुंच रहे हैं। रिम्स में हर दिन आठ से 10 मरीज सर्पदंश के शिकार होकर आ रहे हैं। सदर अस्पताल में तीन से पांच मरीज हर दिन सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में एंटी वैनम देने के बाद मरीजों को घर भेज दिया जा रहा है।
रिम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ संजय सिंह ने बताया कि वर्तमान में तीन मरीज गंभीर अवस्था में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि जहर का असर किडनी तक पहुंच जाने के कारण मरीजों को भर्ती कर इलाज करना पड़ता है। ऐसे मरीजों को कम से कम पांच दिन भर्ती रखकर इलाज करना पड़ता है। समान्य तौर पर मरीजों को एंटी वैनम देने के बाद कुछ देर के लिए ऑब्जर्वेशन में रखना पड़ता है, उसके बाद छोड़ दिया जाता है। बता दें कि रिम्स के आंकड़ों के अनुसार इनमें ओरमांझी, पिठौरिया, पतरातू और बुंडू इलाके के लोग ज्यादा हैं।
झाड़-फूंक कराने वाले गंवा रहे जान
रिम्स में चिकित्सकों ने बताया कि अधिकतर मरीज सुबह तीन से पांच बजे तक अस्पताल पहुंचते हैं। दूसरे जिलों से आने वाले मरीज कई बार सुबह 10 से दोपहर 12 बजे के बीच भी आते हैं। चिकित्सकों ने बताया कि समय रहते पहुंचने वाले अधिकतर मरीजों को एंटीवेनम देकर बचा लिया जाता है। वे ही लोग जान गंवा रहे हैं, जो झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ रहे हैं।
रिम्स के मेडिसिन विभाग के यूनिट इंचार्ज डॉ संजय सिंह ने बताया कि सर्पदंश के तीन-चार मरीज आ रहे हैं। एक मरीज को कम से कम 10 और ज्यादा से ज्यादा 20 एंटी वेनम डोज की जरूरत होती है। हालांकि, यह काटे गए सांप की प्रजाति पर भी निर्भर करता है। ज्यादा घटनाएं गांवों में होती हैं। यदि सीएचसी में एंटी वेनम उपलब्ध न हो तो मरीज को बिना देर किए हायर सेंटर रेफर करना चाहिए।
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