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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के ऐलान के बाद राष्ट्रीय राजधानी के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर अटकलें लगने लगी हैं। दो दिनों के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे, जिसके बाद आम आदमी पार्टी के एमएलए विधायक दल का नेता चुनेंगे जो अगला मुख्यमंत्री बनेगा। सीएम पद की रेस में फिलहाल आतिशी, सौरभ भारद्वाज जैसे बड़े नाम सबसे आगे चल रहे हैं, लेकिन एक ऐसे मंत्री का भी नाम सामने आया है, जिसपर ‘आप’ दांव लगा सकती है। इसका कनेक्शन हरियाणा विधानसभा चुनाव से भी है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी सीएम पद की रेस में हैं और चूंकि वे जाट समुदाय से आते हैं, इसलिए माना जा रहा है कि उन पर दांव लगाकर आप एक तीर से दो निशाने साध सकती है।
कैलाश गहलोत का जाट होना पहुंचाएगा AAP को फायदा!
दिल्ली के नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत का जन्म जाट परिवार में हुआ था। उनका क्षेत्र नजफगढ़ दिल्ली के बाहरी इलाकों में स्थित है और हरियाणा के गुरुग्राम और बहादुरगढ़ के नजदीक है। कैलाश गहलोत के जाट होने की वजह से माना जा रहा है कि यदि आम आदमी पार्टी उन्हें नया मुख्यमंत्री बनाती है तो हरियाणा में अगले महीने होने वाले मतदान पर पार्टी को फायदा मिल सकता है। हरियाणा में पहले ‘आप’ और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कोशिशें हुईं, लेकिन बात बन नहीं सकी, जिसके बाद दोनों दलों ने अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। हरियाणा में जाट समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है और इसी को देखते हुए आम आदमी पार्टी भी कैलाश गहलोत के जरिए कुछ फायदा लेने की कोशिश कर सकती है। दिल्ली, पंजाब के बाद जहां ‘आप’ को सबसे ज्यादा संभावनाएं दिखती हैं, वह हरियाणा ही है। इस बार पार्टी कुछ सीटें जीतकर जरूर राज्य में खाता खोलने या फिर किंगमेकर की भूमिका में आने की सोचेगी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में भी कुछ ही महीने बचे हुए हैं, इसलिए चंद समय के लिए गहलोत को जिम्मेदारी देकर हरियाणा भी आम आदमी पार्टी साध सकती है।
… लेकिन इतनी भी आसान नहीं है राह!
कैलाश गहलोत को सीएम बनाए जाने की राह इतनी भी आसान नहीं है। दरअसल, केजरीवाल, सिसोदिया के जैसे ही कैलाश गहलोत भी दिल्ली के कथित शराब घोटाले में फंसे हुए हैं। इस साल मार्च में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गहलोत से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पांच घंटे तक दफ्तर में पूछताछ की थी। ऐसे में यह भी संभव है कि दिल्ली चुनाव करीब होने की वजह से आम आदमी पार्टी ऐसे ही नेता पर दांव लगाए, जिसकी छवि दागदार नहीं हो, वरना कोई एक ऐक्शन भी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। आतिशी, सौरभ, गहलोत के अलावा सीएम पद की रेस में गोपाल राय का भी नाम है। वे पार्टी से आंदोलन के समय से ही जुड़े हुए हैं और बिना किसी बड़े विवाद के लगातार मंत्रिपद पर काम भी कर रहे। उनकी साफ सुथरी छवि को देखते हुए गोपाल राय पर भी रेस में बने हुए हैं।
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