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Delhi Weather : सफदरजंग मौसम केंद्र में अब तक एक हजार मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज की जा चुकी है। कई मौसमी परिघटनाओं के मेल की वजह से बदली स्थिति है।
दिल्ली में मॉनसून ने इस बार एक हजार मिलीमीटर का आंकड़ा पार कर लिया है। सफदरजंग मौसम केंद्र में इस बार अब तक सामान्य से लगभग 60 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है। इससे पहले वर्ष 2021 में मॉनसून के सीजन में इससे ज्यादा बारिश हुई थी।
राजधानी में इस बार मॉनसून का आगमन बेहद धमाकेदार तरीके से हुआ। दिल्ली में 28 जून को मॉनसून पहुंचा और 24 घंटे के भीतर ही 228 मिलीमीटर बारिश हुई। इतनी ज्यादा वर्षा के चलते दिल्ली में कई स्थानों पर हादसे हुए और लोगों को जान भी गंवानी पड़ी थी। घंटों तक यातायात व्यवस्था भी प्रभावित रही थी। जुलाई में मॉनसून का आंकड़ा आमतौर पर सामान्य रहा, लेकिन अगस्त में फिर जोरदार बारिश हुई। सितंबर के अब तक के दिनों में भी ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बारिश हुई है। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सफदरजंग मौसम केंद्र में जून, जुलाई, अगस्त और इस माह अब तक 1019.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है।
सामान्य तौर पर इतनी होती है बारिश : मॉनसून के इन महीनों में सामान्य तौर पर 640 मिलीमीटर बारिश होती है, जबकि इस बार सामान्य से करीब 60 फीसदी ज्यादा हो चुकी है। अभी मॉनसून के जाने में लगभग आठ-दस दिन का समय और बचा हुआ है।
सितंबर में सामान्य से 116 फीसदी ज्यादा बारिश
सफदरजंग केंद्र में इस माह अब तक सामान्य से 116 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। सितंबर की 14 तारीख तक आमतौर पर 84.3 मिमी बारिश होती है, इस बार अब तक 182.3 मिमी बारिश हो चुकी है। वर्ष 2021 सितंबर में 413.3 मिमी बारिश हुई थी।
14 में से 11 दिन वर्षा
सफदरजंग केंद्र में इस महीने के 14 में से 11 दिन बूंदाबांदी, हल्की बारिश या मध्यम बारिश दर्ज की गई है। छह सितंबर को सबसे ज्यादा 36.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी।
कई परिस्थितियां बनने से बदल गए हालात
मौसम निगरानी संस्था स्काईमेट के विज्ञानी महेश पालावत बताते हैं कि इस बार मॉनसून में हुई ज्यादा बारिश कई मौसमी परिघटनाओं के मेल के चलते हुई है। पिछले साल अलनीनो की स्थिति थी। इस परिस्थिति में कम बारिश होती है। इस बार अलनीनो समाप्त हो गया, जबकि कई कम हवा के दबाव के क्षेत्र उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान पर बने। जब ये कम हवा के दबाव क्षेत्र कमजोर हुए तो मॉनसून ट्रफ ऊपर होकर दिल्ली के करीब आ गई। इसके साथ ही बीच-बीच में पश्चिमी विक्षोभ भी आए।
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