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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को जमशेदपुर से झारखंड विधानसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। रांची की सत्ता का ‘गेटवे’ कही जाने वाली कोल्हान की 14 सीटों के सहारे सूबे में सरकार का लक्ष्य साधेंगे। इस बार प्रधानमंत्री के तरकश में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा के साथ ही ब्रह्मास्त्रत्त के रूप में कोल्हान टाइगर के रूप में मशहूर चंपाई सोरेन भी होंगे। आदिवासी नेताओं की इन तिकड़ी के साथ ही कोल्हान को भारी भरकम सौगात देकर पीएम मोदी हेमंत सरकार सामने बड़ी चुनौती पेश कर जाएंगे।
कोल्हान से होकर जाती है सत्ता की राह
पिछेल कई चुनावों से रांची में सरकार बनाने के लिए कोल्हान की भूमिका अहम मानी जाती रही है। पिछले 24 वर्ष में सूबे में सात मुख्यमंत्री बने, जिनमें चार (अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, रघुवर दास और चंपाई सोरेन) कोल्हान से ही बने। आंकड़े इस बात की भी गवाही दे रहे हैं कि कोल्हान में दमदार उपस्थिति वाली पार्टी या गठबंधन ही सत्ता पर काबिज होने में सफलता हासिल कर पाती है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कोल्हान की 14 में से 6 सीटें जीत ली थीं। तब जमशेदुपर पूर्वी से विधायक बने भाजपा नेता रघुवर दास सूबे के मुख्यमंत्री बने थे। झारखंड में लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड भी भाजपा नेता रघुवर दास के नाम ही है।
2019 में मिला था भाजपा को झटका
मगर उसके बाद 2019 के चुनाव में भाजपा को कोल्हान में मुंह की खानी पड़ी थी। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। वहीं, झामुमो ने 14 में से 11 सीटें अपने नाम कर ली। दो सीट झामुमो की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के खाते में गई थी। इसी शानदार प्रदर्शन के कारण झामुमो अपने सहयोगियों के साथ सरकार बनाने में सफल रही। लोकसभा चुनाव में भी कोल्हान में भाजपा को खूंटी सहित तीन सीटों में केवल एक पर जीत मिली।
इस बार चंपाई और आजसू का भी साथ
इस बार सत्ता तक पहुंचने के लिए भाजपा ने पूरी फील्डिंग सजा दी है। पिछले बार आजसू अलग चुनाव लड़ी थी। सीटें भले ही दो मिली थीं, मगर 8.10 प्रतिशत वोट शेयर लाने में सफल रही थी। वहीं, भाजपा सर्वाधिक 33.37 प्रतिशत वोट पाने में कामयाब रही थी। हालांकि झामुमो के पास वोट शेयर (18.72) भाजपा से कम था, मगर सीटें अधिक थीं। झामुमो 30 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी। झामुमो को कुल सीटों में 40 फीसदी केवल कोल्हान से मिली थीं। भाजपा को उम्मीद है कि चंपाई सोरेन के खेमा बदलने से कोल्हान का सियासी समीकरण बदलेगा। प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम से इन उम्मीदों को और बल मिलेगा। रविवार को पहली बार चंपाई सोरेन प्रधानमंत्री के साथ मंच पर होंगे। चंपाई को लेकर पीएम को भावनात्मक अपील भी कर सकते हैं। यह सभा चंपाई के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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