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जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती ढाई साल के अर्जुन जांगिड़ को शनिवार दोपहर रेयर डिजीज का इंजेक्शन लगाकर जान बचाने की पहली सीढ़ी पार कर ली है। अस्पताल में अर्जुन चौथा बच्चा है, जिसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इंजेक्शन लगाया है। ये इंजेक्शन यूरोपीय देश आस्ट्र
.
इसके इलाज के लिए डॉक्टर्स ने इस इंजेक्शन के बारे में बताया जो मध्यम वर्गीय परिवार के लिए संभव नहीं था, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर्स और पिता की कोशिशों से क्राउड फंडिंग की गई। जनवरी से ही अर्जुन का इलाज कर रहे अस्पताल के रेयर डिजिट सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रियांशु माथुर ने बताया कि अर्जुन की इस बीमारी के कारण ठीक से बैठ भी नहीं सकता था और हर दिन के साथ उसकी तबीयत गंभीर होती जा रही थी। यदि यह इंजेक्शन नहीं लगता तो उसे बचा पाना मुश्किल होता।
24 महीने के समय तक में ही इस इंजेक्शन को लगाने का फायदा है और उसके बाद यह भी उतना कारगर नहीं होता। बीमारी में पहले कमर के नीचे का हिस्सा और फिर धीरे-धीरे पूरा शरीर काम करना बंद करने लगता है। इलाज में डॉ. गायत्री डांगर, डॉ. लोकेश अग्रवाल और डॉ. मनीषा गोयल ने योगदान किया।
शिक्षा विभाग ने जुटाकर दिए 4 करोड़ रुपए से ज्यादा बीमारी से पीड़ित बच्चे की मां पूनम जांंगिड़ शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक हैं। उन्होंने विभाग आर्थिक मदद के कहा तो माध्यमिक शिक्षा के निदेशक आशीष मोदी ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, सचिव कृष्ण कुणाल से चर्चा की तो पूरी मदद का आश्वासन मिला। इसके बाद सभी शिक्षकों को और कर्मचारियों से इच्छा से मदद के लिए कहा। शिक्षकों ने 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का फंड जुटाकर मदद की। मोदी को कहना है कि इतनी फंडिंग जुटाना मुश्किल काम था, लेकिन सभी के सहयोग से अर्जुन को नई जिंदगी मिली है।
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