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नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की अगुवाई करने वालीं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शनिवार को आरोप लगाया गया कि सरदार सरोवर बांध का जल स्तर बढ़ने से पानी गांवों में घुस गया है और इसको लेकर उन्होंने मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया। वे एनबीए के अन्य साथियों के साथ सरदार सरोवर बांध के गेट तत्काल खोलने और विस्थापित परिवारों के पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर जल सत्यग्रह पर बैठीं हैं, और उन्होंने समस्या का समाधान निकलने तक ‘जल सत्याग्रह’ जारी रखने की बात कही है।
छोटी कसरावद में जल सत्याग्रह स्थल पर पाटकर ने दावा किया कि केंद्रीय जल आयोग की नियमावली और नियमों का उल्लंघन करते हुए सरदार सरोवर बांध का जलस्तर अवैध रूप से बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न गांवों के प्रतिनिधि, विशेष रूप से बड़वानी और धार जिलों की महिलाएं विरोध के लिए इकट्ठा हुईं।
पाटकर ने आरोप लगाया कि सरदार सरोवर बांध के फाटकों को समय पर नियंत्रित न करने तथा ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण हजारों घर तबाह हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 135 से 136 मीटर तक पहुंच गया है तथा ओंकारेश्वर बांध के फाटक शुक्रवार रात को खोल दिए गए। पाटकर ने कहा जबकि ऐसी स्थिति में सरदार सरोवर बांध के सभी फाटक खोल दिए जाने चाहिए थे और जलस्तर को 122 मीटर पर प्रबंधित किया जाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि न केवल अत्यधिक बारिश के कारण बल्कि इलाके के जलस्तर में वृद्धि के कारण भी घर तबाह हो गए हैं।
पाटकर ने कहा कि इसके कारण महाराष्ट्र और गुजरात के लोग भी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कृषि भूमि का न तो अधिग्रहण किया गया न ही क्षेत्र में पुनर्वास किया गया। उन्होंने बताया कि यह नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण तथा सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक ‘जल सत्याग्रह’ जारी रहेगा।
कार्यकर्ता ने दावा किया कि पिछले वर्ष मॉनसून के दौरान जलस्तर बढ़ने के कारण सरदार सरोवर क्षेत्र के 170 से अधिक गांवों में घर और कृषि भूमि इसी तरह तबाह हो गए थे।
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