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Maldives: मालदीव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले से ही कर्ज के जाल में फंसे मालदीव ने अब खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का फैसला कर लिया है. दरअसल, मालदीव ने चीन (China) से और अधिक कर्ज (Debt) लेने का एक समझौता किया है. जाहिर तौर पर मालदीव के और अधिक कर्ज लेने के बाद उस पर बीजिंग का शिकंजा और अधिक बढ़ जाएगा.
वर्ल्ड बैंक की मानें तो मालदीव पर पहले से ही चीन का 1.3 अरब डॉलर का कर्ज है. अहम ये है कि ये मालदीव के कुल कर्ज का 20 प्रतिशत है. चीन ने मालदीव को और अधिक वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है. इस संबंध में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और मालदीव के आर्थिक विकास मंत्रालय में समझौता किया गया है.
कर्ज के दलदल में धंस रहा मालदीव
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कार्यकाल में मालदीव की अर्थव्यवस्था पर संकट मंडराया हुआ है. आलम ये है कि मालदीव अब डिफॉल्ट होने की कगार पर है. वित्तीय सहायता के संबंध में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम लगातार मालदीव को वित्तीय सहयोग दे रहे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओं निंग ने कहा, ‘हम पहले की तरह ही मालदीव को लगातार आर्थिक और सामाजिक विकास में सहयोग करते रहेंगे.’
मालदीव-चीन में बढ़ रही करीबी
कर्ज के बोझ तले दबी मुइज्जू सरकार ने कहा कि वो अगले महीने 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करेगी. चीन के बढ़ते कर्ज की बदौलत मालदीव लगातार ड्रैगन के करीब जा रहा है. राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन के लिए झुकाव भी किसी से छिपा नहीं है. पद पर बैठने के बाद से ही मुइज्जू ने लगातार चीन समर्थित नीतियों को लागू करने का काम किया है और भारत से दूरी बनाई है.
हालांकि, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू एक बार फिर भारत के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश में लगे हैं. खबर है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जल्द ही भारत की आधिकारिक यात्रा करेंगे.
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