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‘12 जुलाई 2023 की रात जो घटना हुई उससे मेरा परिवार आज भी उबर नहीं सका है। इसी सदमे में मेरी मां का 25 जुलाई को निधन हो गया। मेरे भाई के असली गुनहगार कौन है वो आज तक पता नहीं चला। हम आज भी कोर्ट -कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।’
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ये कहते हुए नरेंद्र विश्वकर्मा की आंखें नम हो जाती है। नरेंद्र विश्वकर्मा पिछले एक साल से इंतजार कर रहे हैं कि उनके भाई के असली गुनहगारों को सजा मिले। हाल ही में 9 सितंबर को एक बार फिर भोपाल कोर्ट में उनके बयान दर्ज हुए हैं। नरेंद्र कहते हैं केवल जांच ही चल रही है, पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
दरअसल, नरेंद्र के छोटे भाई भूपेंद्र विश्वकर्मा ने ऑनलाइन कर्ज के जाल में फंसकर पिछले साल 12 जुलाई को परिवार समेत खुदकुशी कर ली थी। भूपेंद्र ने मरने से पहले एक चार पन्ने का सुसाइड नोट भी छोड़ा था। जिसमें जिक्र किया था कि कर्ज न चुकाने के एवज में उन्हें किस तरह से धमकियां दी जा रही थी।
सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 6 लोगों की गिरफ्तारी भी की थी, लेकिन ये सिर्फ मोहरे थे। असली गुनहगारों तक पुलिस पहुंच ही नहीं सकी ।
दैनिक भास्कर ने इस मामले का इन्वेस्टिगेशन किया तो पता चला कि साइबर सेल और थाने की पुलिस के बीच को-ऑर्डिनेशन की कमी रही है। ये भी पता किया कि आखिर पुलिस आगे जांच क्यों नहीं कर पा रही। वहीं भूपेंद्र के परिवार से भी बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट …
पुलिस ने अब तक क्या इन्वेस्टिगेशन किया
13 जुलाई को भूपेंद्र की खुदकुशी के बाद सरकार ने एसआईटी का गठन किया था जिसमें एडिशनल DCP जोन- 1, ACP टीटी नगर, टीआई रातीबड़, TI टीटीनगर और साइबर क्राइम टीम के दो पुलिस अफसरों को शामिल किया गया था। एसआईटी ने सबसे पहले भूपेंद्र के अकाउंट स्टेटमेंट की जांच की।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि भूपेंद्र के बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से भोपाल में यस बैंक के एक खाते में 95 हजार 700 रु. ट्रांसफर हुए थे। अकाउंट से ये रकम राजस्थान के रहने वाले खलील के अकाउंट में ट्रांसफर की गई थी। घटना के 23 दिन बाद पुलिस ने सबसे पहले खलील को पकड़ा।
उससे पता चला कि भोपाल से अरशद नाम के व्यक्ति ने ये रकम ट्रांसफर की थी। इस क्लू के आधार पर पुलिस भोपाल में रहने वाले पांच आरोपियों तक पहुंची।
अब जानिए किसका क्या रोल था
शारिक की फर्म के खाते में ट्रांसफर हुआ था पैसा
भूपेंद्र के बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से 95 हजार 700 रु. हमीदिया रोड स्थित यस बैंक की ब्रांच में अमायरा ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। अमायरा ट्रेडर्स का प्रौपराइटर शारिक है। शारिक को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो चार और आरोपियों के नाम सामने आए थे।
शाजी के कहने पर शारिक ने खोला था करंट अकाउंट
शारिक से पुलिस पूछताछ में सामने आया कि शाजी ने उसे बताया था कि वह टेलीग्राम पर एक ग्रुप से वह जुड़ा है। यहां कुछ लोग ऑनलाइन कारोबार में इन्वेस्ट कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस ग्रुप से जुड़ने के लिए करंट अकाउंट जरूरी है। शारिक ने शाजी के कहने पर अपनी फर्म के नाम पर अकाउंट खोलने की सहमति दी थी।
तीसरे साथी उबेज ने शाजी से कराई थी बैंककर्मी की पहचान
शाजी का दोस्त उबेज है। उबेज ने यस बैंक के कर्मचारी फरहान से शाजी की पहचान कराई थी। करंट अकाउंट खोलने से पहले जो फील्ड इन्वेस्टिगेशन होता है, वो फरहान ने किया था। ये फर्जी इन्वेस्टिगेशन था, क्योंकि उस दौरान शारिक की दुकान पर सिर्फ टेबल रखी थी। बाहर एक पोस्टर लगा था। इसके एवज में फरहान को 10 हजार रु. मिले थे।
अरशद ने अकाउंट से पैसा निकालकर खलील के अकाउंट में जमा किया
अरशद बेग आरोपी शारिक का रिश्तेदार है। भूपेंद्र के अकाउंट से शारिक के करंट अकाउंट में आई रकम को अरशद ने निकाला था। इस रकम को राजस्थान के खलील के अकाउंट में ट्रांसफर किया था।
अब जानिए पुलिस का इन्वेस्टिगेशन आगे क्यों नहीं बढ़ सका..
दरअसल, आरोपियों में से एक शाजी ने पूछताछ में बताया था कि उसकी दोस्ती मुंबई के एक इमरान नाम के व्यक्ति से थी। उसी के जरिए वह टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ा था। इसी ग्रुप पर खुद को विदेश का बताने वाला एक युवक उन्हें दिशा निर्देश देता था। रकम अकाउंट में आने के बाद क्या करना है? इसके बारे में भी वो ही बताता था।
इस केस से जुड़े एक अधिकारी ने भास्कर को बताया कि जो आरोपी पकड़े गए थे वो साइबर सेल की मदद से पकड़े गए थे। आरोपियों ने पूछताछ में जो बताया था उसकी जांच साइबर टीम ही कर सकती थी, लेकिन कुछ दिनों बाद साइबर टीम ने आगे इन्वेस्टिगेशन करने से हाथ पीछे खींच लिए।
साइबर टीम ने आला अधिकारियों को कहा था कि थाने की पुलिस से उनका कोऑर्डिनेशन नहीं हो पा रहा है। जैसे ही साइबर सेल ने इन्वेस्टिगेशन बंद किया ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जो एसआईटी बनी थी उसके कुछ सदस्यों के तबादले भी हो गए। उनकी जगह जो नए लोग आए उन्हें केस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
भास्कर ने इस केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर और रातीबड़ थाने के एसआई ओमप्रकाश से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी जिम्मेदारी मिली है, इसलिए केस डायरी पढ़ी नहीं है, वह इस केस के बारे में ज्यादा नहीं बता सकते।
वहीं रातीबड़ थाने के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस मामले की जांच थाने की पुलिस के बस की बात नहीं है। साइबर सेल की टीम ही इसका ठीक तरीके से इन्वेस्टिगेशन कर सकती है। हम चाहते हैं कि ये केस साइबर सेल को ट्रांसफर किया जाए।
एक्सपर्ट बोले- ऐसे मामलों का इन्वेस्टिगेशन साइबर की टीम ही कर सकती है
पुलिस और साइबर टीम के बीच कोऑर्डिनेशन न होने को लेकर भास्कर ने पूर्व डीजीपी एन के त्रिपाठी से बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की जांच के लिए जो एसआईटी बनती है वह संयुक्त रूप से काम करती है। अब इस मामले में एसआईटी के सदस्यों के बीच कोऑर्डिनेशन था या नहीं ये नहीं कह सकते क्योंकि एसआईटी ने ही 5 आरोपियों को पकड़ा।
उन्होंने कहा कि बिना साइबर पुलिस की मदद के इस मामले को सॉल्व नहीं किया जा सकता। हमें ये भी देखना चाहिए कि इस समय इतने साइबर क्राइम हो रहे हैं उसे देखते हुए साइबर शाखा पर वर्क लोड ज्यादा है। इसके बाद भी राज्य साइबर सेल इस मामले का इन्वेस्टिगेशन करेगी तो नए सबूत मिल सकते हैं।
अब जानिए क्या है पीड़ित परिवार की हालत
मृतक भूपेंद्र के बड़े भाई नरेंद्र विश्वकर्मा बताते हैं कि इस घटना के बाद उनका परिवार सदमे से उबरा नहीं है। इसी सदमे में उनकी मां का 25 जुलाई को निधन हो गया। पिता की भी तबीयत खराब ही रहती है। वो 24 घंटे कुछ न कुछ सोचते रहते हैं।
नरेंद्र कहते हैं कि घटना को लगभग 1 साल हो गया लेकिन आज भी मैं काम पर लौट नहीं पाया हूं। इच्छा ही नहीं होती है। वे कहते हैं कि मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं” कारपैंटर का काम करता हूं,लेकिन भाई को बीएससी और एमबीए करवाया था। हमने सोचा नहीं था कि वो ऐसा कदम उठाएगा। यदि उसे पैसे की तकलीफ थी तो हमें बताना चाहिए था। माता-पिता और मैं उसकी मदद करते।
पिता बोले – हमें न्याय नहीं मिल रहा
मृत भूपेंद्र विश्वकर्मा के पिता शिवनारायण विश्वकर्मा ने कहा कि हमने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। तब प्रशासन ने भरोसा दिया था कि मामले की गंभीरता से जांच होगी। पिछले एक साल से जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हो रही है।
मैंने भोपाल पुलिस कमिश्नर से भी मुलाकात की थी, उन्होंने भी केवल भरोसा दिया। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी मिला था उन्होंने हर संभव मदद का भरोसा दिया। कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री के ऑफिस ने कहा कि आपके बेटे ने सुसाइड किया है इस मामले में हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते हैं।
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