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हाई कोर्ट ने दौसा जिले के बैजूपाड़ा तहसीलदार को तलब कर लिया हैं। तहसीलदार ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रिपोर्ट पेश नहीं की थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह निर्देश कैलाश चंद की जन
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दरअसल, दौसा जिले की ग्राम पंचायत लोटवाड़ा में चारागाह भूमि पर बनी अवैध दुकानों को अतिक्रमण मानते हुए प्रशासन ने 2021 में उन्हें हटाने के आदेश दिए थे। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने तहसीलदार बैजूपाड़ा से अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।
लेकिन चार सप्ताह बाद भी अदालत में रिपोर्ट पेश नहीं होने पर अदालत ने नाराज़गी जाहिर करते हुए तहसीलदार को निर्देश दिए है कि या तो वो अदालत के आदेश की पालना करें, वरना अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हो जाए।
तीन साल में भी नहीं हटाया अतिक्रमण मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने बताया कि ग्राम लोटवाड़ा में चारागाह भूमि पर कई बाहुबलियों द्वारा अवैध अतिक्रमण कर दुकानें निर्मित कर व्यवसाय किया जा रहा है। इन लोगों ने करीब 5 बीघा से अधिक भूमि पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया है।
उन्होने कहा कि राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार चारागाह की भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है और ना ही चारागाह की भूमि को चारागाह के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए काम में लिया जा सकता है।
उक्त अतिक्रमण के संबंध में याचिकाकर्ता और अन्य ग्रामीणों की शिकायत पर साल 2021 में तहसीलदार द्वारा सभी अतिक्रमियों को राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत भूमि से बेदखल किए जाने के आदेश पारित किए थे। लेकिन उसके बाद प्रशासन की तरफ से केवल खानापूर्ति की गई है और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बेदखली के निर्णय के 3 साल बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया।
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