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कृषि विज्ञान केन्द्र शाजापुर द्वारा कृषि यंत्रों के चुनाव एवं रख-रखाव विषय पर कृषकों के लिए प्रशिक्षण ग्राम डंगीचा में 9 से 12 सितंबर तक आयोजित किया गया। समापन कृषि विज्ञान केन्द्र शाजापुर में शुक्रवार को जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संतोष
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प्रशिक्षण कै दौरान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ जीआर अंबावतिया ने कृषकों से अनुरोध किया कि पूरे प्रशिक्षण के दौरान उन्नत कृषि यंत्रों के संबंध में बताई गई तकनीकों का प्रयोग अपनी खेती-बाड़ी में करें। साथ ही खेती में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यानिकी एवं औषधीय फसलों की खेती वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार करें।
प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ एसएस धाकड़ ने खेतीबाड़ी में प्रयोग किए जाने वाले उन्नत कृषि यंत्रों के चुनाव, रख-रखाव एवं उन्नत कृषि यंत्रों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर विभिन्न फसलों की बुवाई के लिए हस्तचलित कृषि यंत्र डिबलर, पशु चलित बुवाई यंत्र के साथ रेज्ड बेड प्लांटर की विस्तार से जानकारी दी गई। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि रेज्ड बेड प्लांटर से बुवाई करने पर कम वर्षा की स्थिति में नमी का संरक्षण होता है एवं अधिक वर्षा की स्थिति में सुरक्षित जल निकास होता है।
साथ ही ट्रैक्टर से चलने वाले विभिन्न जुताई, बुवाई, कटाई एवं गहाई के लिए उन्नत कृषि यंत्रों का उचित प्रचालन के साथ-साथ कृषि यंत्रों को चलाने से पहले, चलाने के दौरान एवं चलाने के बाद कौन-कौन सी सावधानी रखी जानी है, इसके बारे में प्रशिक्षण के दौरान विस्तार से बताया गया। प्रशिक्षण में केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ गायत्री वर्मा, डॉ मुकेशसिंह, डॉ डीके तिवारी ने कृषकों को समसमायिक जानकारी दी। इस दौरान कृषकों की समस्याओं का मौके पर समाधान किया गया।
ड्रोन से छिड़काव के बारे में जानकारी दी। साथ ही फसलों में छिड़काव की उन्नत तकनीक ड्रोन का प्रदर्शन कृषि विज्ञान प्रक्षेत्र में नमो ड्रोन दीदी प्रियंका सौष्ट्रीय के सहयोग से किया गया। इस ड्रोन प्रदर्शन के दौरान केन्द्र के प्रमुख डॉ जीआर अम्बावतिया ने बताया कि आज के डिजिटल युग में खेती भी आधुनिक होती जा रही है। इसलिए कृषि विज्ञान केन्द्र नए-नए कृषि यंत्रों का प्रदर्शन कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र तथा कृषकों के खेतों पर कर रहा है। जिससे ड्रोन जैसी तकनीक से कम समय तथा कम लागत में कृषक ज्यादा उत्पादन ले सकें। यह तकनीक उद्यानिकी फसलों संतरा, अमरूद, आम के साथ-साथ गेंहू, सरसों, अरहर, चना आदि फसलों के लिए काफी उपयोगी है।
इस दौरान केन्द्र वैज्ञानिक डॉ डीके तिवारी, डॉ गायत्री वर्मा, रत्नेश विश्वकर्मा, हितेन्द्र इंदौरिया, निकितानंद, गंगाराम, हाफिज खां सहित 50 से अधिक कृषक उपस्थित रहे।
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