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एम्स भोपाल में पसलियों के कैंसर (ईविंग सारकोमा) से जूझ रहे आठ साल के बच्चे की दुर्लभ सर्जरी कर जान बचाई गई। कैसंर ट्यूमर हटाने के बाद बच्चे की चेस्टवाॅल का बड़ा हिस्सा खराब हो गया था। जिसे रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कर शरीर के टिश्यू से ही तैयार किया गया।
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कीमोथैरेपी के बाद की गई सर्जरी एम्स के सर्जरी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डाॅ. रियाज अहमद ने बताया कि बच्चे की जांच के बाद अलग अलग चरणों में उपचार का प्लान तैयार किया गया। सबसे पहले कीमोथैरेपी से ट्यूमर को हटाया गया। इसके बावजूद पसलियों में करीब 10 सेंटीमीटर का ट्यूमर रह गया था। इसे सर्जरी के माध्यम से हटाया गया। हालांकि इससे चेस्ट वाॅल के बड़े हिस्से पर घाव रह गया था। इसे भरने के लिए प्लास्टिक सर्जरी विषेशज्ञों ने रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी का करने का निर्णय लिया।
जांघ के टिश्य् का किया इस्तेमाल।
जांघ के टिश्यु से तैयार हुई नई चेस्ट वाॅल डाॅ़ अहमद के मुताबिक सर्जरी के लिए जांघ से टिश्यू (टेंसर फैशिया लाटा) का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। टिश्यु से वाॅल तैयार करने के बाद इस पर मांसपेशियों की परत चढ़ाई गई। इस अत्यधिक जटिल सर्जरी के बाद जो पहले वेंटिलेटर पर था, 12 घंटों के भीतर वेंटिलेटर से हटा दिया गया और छठे दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सर्जरी करने वाली टीम में बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग से अतिरिक्त प्रोफेसर, डॉ. रियाज अहमद, सहायक प्रोफेसर, डॉ. सुरेश के., प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. गौरव चतुर्वेदी और एनेस्थीसिया विभाग से अतिरिक्त प्रोफेसर, डॉ. सुनैना तेजपाल कर्ण शामिल थी।
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