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बात 1973 की है। केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी और हरियाणा में बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। इंदिरा सरकार में ललित नारायण मिश्र रेल मंत्री थे। बंसीलाल और ललित नारायण मिश्र इंदिरा गांधी के बहुत करीबी थे। इन दोनों नेताओं में भी दोस्ती थी। उन्हीं दिनों रेल मंत्री ललित मिश्र ने अपने सरकारी आवास पर एक पार्टी दी, जिसमें इंदिरा समर्थक दिग्गज कांग्रेसियों और बॉलीवुड अभिनेताओं समेत समाज की कई बड़ी हस्तियों को उस भोज में आमंत्रित किया था। मुख्यमंत्री बंसीलाल भी उस भोज में शामिल हुए थे।
भोज के दौरान ही ललित नारायण मिश्रा तब के सबसे बड़े अभिनेता और बॉलीवुड के शो-मैन कहलाने वाले राजकपूर से सबको मिलवा रहे थे। राजकपूर तब बंसीलाल के बगल में ही बैठे थे लेकिन बंसीलाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे। इसकी बजाय वह खाने की तारीफ कर रहे थे। बंसीलाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे एसके मिश्रा ने अपनी किताब ‘फ्लाइंग इन हाई विड्स’ में इस किस्से का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि जब बंसीलाल के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखा तो ललित मिश्रा ने जोर देकर कहा कि ये राजकपूर हैं… राजकपूर। इस पर बंसी लाल ने कहा कि फरीदाबाद में आपका बिजनेस है तो राजकपूर ने जवाब दिया नहीं।
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मिश्रा ने किताब में लिखा है कि इसके बाद बंसीलाल ने पूछा कि आप करते क्या हैं? इस पर राजकपूर ने जवाब दिया- मैं एक्टर हूं। बंसीलाल ने बिना पलक झपकाए फिर पूछा- किस नाटक में काम करते हैं? ये सुनकर राजकपूर सकपका गए। तब मामले की गंभीरता को देखते हुए ललित नारायण मिश्र बीच में टपक पड़े और माहौल को ठंडा करने की कोशिश की और हंसते हुए बोले- कमाल है आप राजकपूर को नहीं जानते। ये फिल्म जगत के सबसे बड़े कलाकार हैं।
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दरअसल, बंसीलाल सरल स्वभाव के थे और चमक-दमक से कोसों दूर थे। वह बिना प्रेस किए कपड़े भी पहनकर दफ्तर आ जाया करते थे। फिल्मों में उनकी रूचि नहीं थी। उनके सचिव एसके मिश्रा के मुताबिक वह फिल्में नहीं देखते थे। बकौल मिश्रा बंसीलाल ने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक फिल्म देखी थी- डॉक्टर कोटनीस की अमर कहानी। यह फिल्म 1946 में आई थी। यह एक डॉक्टर की जिंदगी पर बनी फिल्म है। डॉ. कोटनीस द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिकों को चिकित्सीय मदद देने के लिए चीन जाते हैं, जहां एक युवती से उन्हें प्रेम हो जाता है। बता दें कि बंसीलाल कांग्रेस के एक दिग्गज नेता थे। वह चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे।
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