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रांची के तमाड़ के दिउड़ी मंदिर में मालिकाना हक को लेकर आदिवासी समुदायों द्वारा बुधवार को पातरा सड़क स्थित मैदान में महाजुटान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दूर-दराज से आए आदिवासी नेता शामिल हुए। धर्मगुरु ने सरकार की बातों को खारिज करते हुए आदिवासी जनाक्रोश रैली करने और क्षेत्र में आदिवासी संगठनों को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
मंदिर के आसपास धारा 163 लागू
इस बीच, बुंडू अनुमंडल पदाधिकारी मोहन लाल मरांडी ने दिउड़ी मंदिर परिसर के सौ मीटर के दायरे में धारा 163 लागू कर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। साथ ही परिसर में सुरक्षा कर्मी तैनात कर दिए गए हैं। इससे श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना में कोई परेशानी नहीं हुई।
अनुमंडल पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि मंदिर परिसर में किसी भी तरह की अशांति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी मोहन लाल मरांडी, अंचलाधिकारी अतुल रंजन और थाना प्रभारी रोशन कुमार भी मौजूद थे। मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा और आरती शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न की।
यह भी जानिए: रांची में नहीं दिखा बंद का असर
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा द्वारा बुधवार को झारखंड बंद का ऐलान रांची में बेअसर रहा। मोर्चा और कुशवाहा समाज की महिलाओं ने अलबर्ट एक्का चौक पर झंडे-बैनर के साथ प्रदर्शन करते हुए बाजार-आवागमन बंद की घोषणा की। लेकिन, लोग अपने कार्यों में व्यस्त रहे। दुकानें खुली रहीं और आवागमन सामान्य दिनों की रहा। हालांकि इस बीच हल्की नोक-झोंक हुई, लेकिन कोई भी बंद के समर्थन में नहीं आया।
वहीं, मोर्चा के प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने दावा किया कि बस डिपो में भीड़ कम रही और बड़े वाहन नहीं चले। बंद के माध्यम से जेल जाने की बाध्यता समाप्त करने, राजकीय सम्मान आंदोलनकारियों को देने, आश्रितों को रोजी रोजगार-नियोजन देने, पेंशन राशि 50-50 हजार रुपये देने की मांग की गई। पूर्व राज्यपाल कैलाशपति की प्रतिमा को हटाने, पेसा कानून, समता जजमेंट लागू कर 26 रॉयल्टी का अधिकार देने, सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने की बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।
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