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जामताड़ा जिले के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के नैंगडाडीह गांव में अज्ञात जानलेवा बीमारी से 22 दिनों में विलुप्त हो रही पहाड़िया जनजाति समुदाय के 8 लोगों की मौत ने सिस्टम पर एक बार फिर सवाल खडे कर दिए है। अब तक यह पता नहीं चल सका है कि गांव में कौन सी बीमार
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मंत्री ने दिए डीसी को निर्देश जानकारी मिलते ही प्रशासन महकमे में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर डीसी स्थिति से निपटने का निर्देश दिया है। डीसी ने मामले में सिविल सर्जन को एहतियात कदम उठाने का निर्देश दिया हैं, ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित गांव में पहुंच गई है और ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है। टीम फिलहाल गांव में कैंप कर रही है। बीमारी के लक्षण हल्की खांसी सर्दी के साथ बुखार आता है। दस्त जैसे लक्षण भी मरीजों में मिले हैं। इसके बाद मरीजों की हालत खराब हो जाती है और उनकी मौत हो रही है। लोगों से साफ-सफाई और स्वच्छता का ख्याल रखने की अपील की गई है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर जामताड़ा डीसी कुमुद सहाय हालात का जायजा लेने नैंगडाडीह पहाड़िया गांव पहुंची। इस दौरान उन्होंने चिकित्सकों और पदाधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए। साथ ही मरीजों का समुचित इलाज करने और दवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इस दौरान डीसी ने ग्रामीणों से मिलकर स्थिति की जानकारी ली। साथ ही ग्रामीणों से स्वच्छ पानी पीने और ताजा भोजन करने की अपील की है।
डीसी ने लिया जायजा डीसी कुमुद सहाय ने कहा कि घटना काफी दुखद है। स्वास्थ्य विभाग की टीम को बीमारी की रोकथाम के लिए लगाया गया है। पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। गांव में 15 दिनों में अज्ञात बीमारी से एक सप्ताह में पांच लोगों की मौत हुई है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
15 दिनों में मौत के मामले की जांच शुरू की गई है। डीसी कुमुद सहाय, आईटीडीए परियोजना निदेशक जुगनू मिंज व सिविल सर्जन डॉ आनंद मोहन सोरेन करमाटांड़ प्रखंडन्तर्गत नेगराटांड़ गांव में बीते 15 दिनों के अंदर आदिम जनजाति परिवार(पहाड़िया) के पांच सदस्य की मौत हो जाने के मामले की जांच के लिए पहुंचे। जिला प्रशासन की ओर से पांच के मौत की जानकारी दी जा रही है। अब भी जनजाति परिवार के करीब 10 सदस्य बीमार है। जिसमें अधिकांश लोग बुखार से पीड़ित है। कार्रवायी का निर्देश दिया है।
मृतकों में ये शामिल, कई अब भी बीमार मृतकों में हकीम पुजहर, दुरिया पुहराइन, विवेक कुमार, सरिता पुहराइन, फूल कुमारी पुहराइन, सिम्मी कुमारी, गणेश पूजहर की 5 माह की बेटी और जलेशर पुजहर शामिल हैं। पहाड़िया जनजातियों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम सही तरीके से लोगों की जांच नहीं कर रही है। ग्रामीण बैल बकरी बेचकर प्राइवेट डॉक्टर से अपना इलाज करवा रहे हैं।
पहाड़िया जनजाति सरकार के द्वारा संरक्षित जनजाति है और उनकी संख्या बहुत कम है। ऐसे में इस जनजाति के 8 लोगों की मौत से सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं। डीसी ने कहा कि लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सीरियस मरीजों को सदर अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा है।150 परिवार के पास आयुष्मान कार्ड नहीं अधिकतर लोगों के पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है। ऐसे में इस जनजाति के लोगों की मौत सिस्टम पर सवाल खड़े करते हैं. गांव में करीब 30 से 40 घर पुजहर समाज के हैं। जिनकी आबादी करीब 100 से 150 के बीच है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
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