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झारखंड सरकार ने भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री व चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को पत्र भेजकर मांग की गई है कि आयोग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के माध्यम से नेताओं को सलाह दे कि राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी खजाने व राज्य की आधिकारिक मशीनरी का दुरुपयोग न किया जाए। साथ ही असम के मुख्ममंत्री झारखंड के मामलों में सीधे हस्तक्षेप करने से बचें।
पुलिस अधिकारियों को धमकाने का आरोप
झारखंड सरकार की मंत्रिमंडल, सचिवालय व निगरानी विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें भाजपा के दोनों नेताओं द्वारा राज्य के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को धमकाने का आरोप लगाया गया है। भाजपा नेताओं पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का भी आरोप लगाया गया है। पत्र में निर्वाचन आयोग से निष्पक्षता सुनिश्चित करने, दोनों पक्षों को अवसर देने तथा आगामी विधानसभा चुनावों के संबंध में झारखंड में तैनात सरकारी अधिकारियों एवं पुलिस अफसरों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने से पहले विस्तृत जांच करने का भी आग्रह किया गया है।
नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
पत्र में लिखा गया है कि राज्य की नौकरशाही एवं पुलिस पर व्यवस्थित एवं सुनियोजित हमले ने व्यापक भय और मनोबल गिराने की भावना पैदा कर दी है। न केवल राज्य के शीर्ष नौकरशाहों को धमकाने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि पूरे प्रशासन को पंगु और अपंग बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है, जो राज्य के आंतरिक मामलों और प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं।
मेजबान राज्यों के काम पर क्या कोई सीएम झूठे आरोप लगा सकते हैं
राज्य सरकार ने सवाल उठाया कि क्या भारत के संघीय ढांचे के भीतर किसी राज्य के मुख्यमंत्री किसी दूसरे राज्य के दौरे पर, मेजबान राज्य के प्रशासन और आंतरिक मामलों के कामकाज के खिलाफ झूठे आरोप लगा सकते हैं और बयान दे सकते हैं, जिसमें उसकी नीतियां भी शामिल हैं। झूठे बयान नेताओं, डीजीपी और अन्य अधिकारियों के चरित्र हनन के बराबर हैं। यह साजिश लगती है, ताकि आदर्श आचार संहिता लागू हो तो इनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग भेजी जा सके।
हिमंता को वैमनस्य भड़काने से बचना चाहिए
हिमंता के झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन पर बांग्लादेशी घुसपैठ को संरक्षण देने के आरोप पर राज्य सरकार ने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा है, जिसका आंतरिक सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। देश में घुसपैठियों का आना मुख्य रूप से असम में बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के कारण है। हिमंता को झारखंड में समुदायों के बीच अशांति-वैमनस्य भड़काने से बचना चाहिए।
चुनाव आयोग को इस संबंध में जो फैसला लेना होगा लेगा: हिमंता
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से शिकायत की है तो चुनाव आयोग इस पत्र को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करे। झारखंड में वह राजनीति नहीं कर रहे, वह तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सुधार की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार उत्पाद सिपाही भर्ती में मृत युवाओं के परिजनों को नौकरी व 50 लाख मुआवजा दे। हिमंता विश्व सरमा ने कहा कि अबतक वह यहां राजनीति नहीं कर रहे हैं।
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