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दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को चुनौती दी है कि वह उन अधिकारियों के नाम का खुलासा करें जिन्होंने राजधानी के नालों से गाद निकालने का काम नहीं किया। राज निवास की ओर से फिलहाल इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उपराज्यपाल ने नालों से गाद निकालने के काम में भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। इसके एक दिन बाद भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शहरी विकास मंत्री के रूप में उन्होंने बार-बार कहा था कि गाद निकालने के बहाने भारी भ्रष्टाचार हुआ है।
मंत्री ने कहा, ‘करोड़ों रुपये की गाद निकालने का काम केवल कागजों पर ही किया गया, मैं यह कई महीनों से कह रहा हूं। मैं यह बात बार-बार कह रहा हूं। मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिखा कि थर्ड पार्टी से ऑडिट कराने की जरूरत है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री के बार-बार लिखित आदेश के बावजूद थर्ड पार्टी से ऑडिट नहीं कराया गया।
भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने 20 मई को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यह जानना चाहा था कि लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा नालों से कितना गाद हटाने का काम किया गया है, समय सीमा क्या है और काम कब तक पूरा हो जाएगा। आप नेता ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव को सात दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मंत्री ने कहा कि पांच जून को उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर याद दिलाया कि 15 दिन बीत चुके हैं और उन्हें अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है।
आप नेता ने कहा कि उपराज्यपाल सोमवार को अचानक जागे और कहा कि दो डिवीजन दक्षिण-पश्चिम-एक और दक्षिण-पश्चिम-दो की जांच की जानी चाहिए। भारद्वाज ने कहा कि उन्हें 48 घंटे के भीतर जांच पूरी करानी चाहिए, चाहे वह जांच सीबीआई, मुख्य सचिव, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा की जाए या वह स्वयं करवाएं। बता दें कि सोमवार को, सक्सेना ने पालम क्षेत्र में नालों से गाद निकालने के कार्य में लोक निर्माण विभाग द्वारा लगभग 80 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोपों की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा जांच का आदेश दिया था।
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