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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। आठ साल की बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी ने कथित तौर पर अपनी ही बेटी के साथ जघन्य अपराध किया है। उसे राहत देने से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। न्यायाधीश ने आरोपी के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उसकी पत्नी ने वैवाहिक कलह के कारण उसके खिलाफ झूठी शिकायत दी है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि एक मां अपनी बेटी के जीवन को खतरे में नहीं डालेगी। पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न का कृत्य बच्चों को मानसिक आघात पहुंचा सकता है और आने वाले वर्षों में उनकी विचार प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। उनके सामान्य सामाजिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। ऐसी समस्याएं पैदा कर सकता है जिनके लिए मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
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