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भारत में मंकीपॉक्स वायरस का पहला मरीज सामने आया है। वह पश्चिमी अफ्रीका क्लैड-2 से पीडित है। यह वही शख्स है जिसे एक दिन पहले विदेश की यात्रा के बाद आए कुछ बदलावों के कारण आइसोलेट किया गया था। हालिया समय में विश्व स्वास्थ्य संगंठन ने मंकीपॉक्स वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया हुआ है। मगर क्लैड-2 इस आपातकाल का हिस्सा नहीं है। आपको बता दें कि 2022 की महामारी क्लैड-2 के कारण हुई थी, जो अभी भी पश्चिम सहित कई देशों में फैली हुई है।
WHO ने जारी की चेतावनी
मंकीपॉक्स के फिर से बढ़ने और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में नई स्ट्रेन का पता चला है। इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को इसे दुनिया के लिए खतरा बताते हुए चेतावनी जारी की थी। कॉन्गो में फैली महामारी स्ट्रेन-1 के कारण हुई है। यह धीरे-धीरे और भी खतरनाक होता जा रहा है, क्योंकि इस स्ट्रेन के भी अनेक टाइप सामने आ रहे हैं। जैसे इसका एक सब- वैरिएन्ट 1बी सामने आया है। डॉक्टरों ने बताया है कि मरीज स्वस्थ्य है और फिलहाल उससे अन्य लोगों को कोई खतरा नहीं है।
भारत में पहले भी सामने आए थे केस
आपको बता दें कि मरीज ने विदेश की यात्रा की थी। वह ऐसे देश में गया था, जहां मंकीपॉक्स वायरस की बीमारी फैली हुई है। वापस आने पर उसके अंदर इस बीमारी के लक्षण सामने आए थे। इस कारण तत्काल एक्शन लेते हुए उसे आइसोलेट किया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि लैब में किए गए टेस्ट में मरीज मंकीपॉक्स वायरस के क्लैड-2 से ग्रसित पाया गया है। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि ये मामला साल 2020 में मिले 30 मामलों जैसा है। इसका संबंध वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आपातकालीन चेतावनी से नहीं है।
भारत में खतरा नहीं मगर यहां हुईं 650 मौतें
मंत्रालय ने बताया है कि रोगी स्वस्थ्य है। फिलहाल उसके शरीर में किसी भी तरह की दिक्क्त नहीं आ रही है। आगे कहा कि यह मामला जोखिम से भरा हुआ है, इसलिए इस पर नजर रखी जा रही है। छूने से मामले बढ़ने से बचाने के लिए भी सभी तरह के एहतियात बरतते हुए मामले से निपटा जा रहा है। फिलहाल इसके फैलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। वहीं इसके इतर कांगो में इस बीमारी के 19000 से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें से करीब 650 लोगों की मौत भी हुई हैं। मगर इससे लड़ने के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है।
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