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मेरी उम्र 8 साल थी, जब पिता के इलाज की खातिर मां ने मुझे 40 हजार रुपए में मंदसौर के धर्मा साठिया के पास गिरवी रख दिया था। मैं बहुत रोई। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? मां बोली थी कि तुझे वो परिवार अपनी बहू बनाएगा।
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7 साल तक वहां मेरे साथ जानवरों जैसा बर्ताव होता रहा। मुझे कबाड़ बीनने के लिए कहा जाता था। कभी भरपेट खाना तक नहीं देते थे। हर पल दो लोग नजर रखते कि कहीं मैं भाग न जाऊं। अब ये परिवार मेरा सौदा 4 लाख रुपए में कर रहा था। मैंने बातें सुन लीं और भाग आई।
ये आपबीती खंडवा बाल कल्याण समिति के पास पहुंची 15 वर्षीय किशोरी की है। उसके परिवार में दो मासूम भाई-बहनों के अलावा कोई नहीं है। पिता की बीमारी से मौत हो चुकी है तो 3 साल पहले मां और नानी का कत्ल हो चुका है। आखिर क्या हुआ, इस किशोरी के साथ… पढ़िए ये रिपोर्ट…
पिता का इलाज कराने मां ने ही गिरवी रख दिया
खंडवा जिले के ही मोघट थाना क्षेत्र की रहने वाली किशोरी तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। 2017 में 8 साल की थी, तब उसके पिता गंभीर बीमार पड़ गए। परिवार की आर्थिक हालत बेहद खस्ता थी। मां ने पति का इलाज कराने मंदसौर के धर्मा साठिया से 40 हजार रुपए का कर्ज लिया था।
कर्ज के बदले उसने अपनी 8 वर्षीय बेटी को ही धर्मा के पास ये कहते हुए गिरवी रखा कि वह बालिग होने पर उसकी शादी अपने बेटे लखन से कर सकता है। मालवा-निमाड़ में बेटों की शादी के लिए लड़की वालों को पैसे देने का चलन है। धर्मा साठिया इसके लिए तैयार हो गया।
खाने के एवज में दिन भर कबाड़ बीनने का काम दिया
इसके बाद मासूम अपने घर से धर्मा साठिया के साथ उसके डेरे पर मंदसौर आ गई। किशोरी के मुताबिक, यहां उससे जी-तोड़ काम कराया जाता था। इसके बावजूद कभी भी दोनों वक्त का भरपेट भोजन नहीं मिला। धर्मा उसे सुबह ही कबाड़ बीनने के लिए भेज देता था। वह चाहकर भी भाग नहीं सकती थी। उस पर हमेशा धर्मा साठिया के परिवार के लोगों की नजर रहती थी।
काम में कभी देरी या गलती होती तो उसे पिटाई भी सहनी पड़ती थी। एक दिन कबाड़ बीनते समय उसे सोने का जेवर मिला। उसे पता था कि मां ने 40 हजार रुपए कर्ज के चलते उसे धर्मा के साथ भेजा था। यदि ये पैसे मिल जाएं तो शायद वह आजाद हो जाएगी।
मां-नानी की हत्या होने पर भी घर नहीं भेजा
किशोरी ने खंडवा बाल कल्याण समिति के सदस्यों- एडवोकेट पन्नालाल गुप्ता और विजय राठी को बताया कि 2021 में उसकी मां और नानी की पूर्व सरपंच राधेश्याम ने कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी। दरअसल, किशोरी के पिता की बीमारी से मौत के बाद उसकी मां और नानी राधेश्याम के साथ रहने लगी थीं। किशोरी के दो भाई-बहन भी उनके साथ ही रह रहे थे। राधेश्याम और किशोरी की मां लिव-इन-रिलेशन में थे।
चरित्र संदेह को लेकर किशोरी की मां और राधेश्याम के बीच विवाद हो गया। गुस्से में राधेश्याम ने कुल्हाड़ी से वार कर किशोरी की 40 वर्षीय मां और 62 वर्षीय नानी की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके बाद खुद रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। किशोरी के दोनों भाई-बहनों को इंदौर में चाइल्ड होम भेजना पड़ा था। बाद में उन्हें एक महिला रिश्तेदार को सौंप दिया गया।
जिससे रिश्ता तय था, वो दूसरी युवती के प्यार में पड़ा
किशोरी के मुताबिक, धर्मा साठिया के जिस बेटे लखन से उसकी शादी की बात तय हुई थी, वो किसी दूसरी युवती के प्यार में पड़ गया। वह उसी युवती से शादी करना चाहता है। लखन ने अपने पिता धर्मा से साफ तौर पर बोल दिया कि वह उसी युवती से शादी करेगा। धर्मा को अपने बेटे की पसंद की युवती से शादी करने के लिए भी भांजगड़ा देना पड़ेगा।
यही वजह थी कि वह इस किशोरी को नीमच में किसी को 4 लाख रुपए में बेचने का सौदा कर रहा था। उसका सौदा हो भी जाता, लेकिन धर्मा को इसकी बातचीत करते हुए किशोरी ने सुन लिया। धर्मा और नीमच के खरीददार के बीच मामला एक लाख रुपए पर अटका था। धर्मा 4 लाख मांग रहा था जबकि नीमच वाला व्यक्ति 3 लाख देने को तैयार था।
मंदसौर से भाग कर किशोरी पहले इंदौर, फिर खंडवा पहुंची
4 सितंबर की सुबह किशोरी को धर्मा के घर से भागने का मौका मिल गया। धर्मा के घर के सामने से ही एक बस इंदौर के लिए निकलती है। उसी से किशोरी इंदौर पहुंची। यहां से वह खंडवा आ गई। रामनगर में उसके नाना का घर है लेकिन वह पहुंची तो वहां कोई नहीं मिला।
इसी बीच उस पर खंडवा की बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष विजय सनावा की नजर पड़ी। वे उसे समिति के दफ्तर ले आए। समिति के सदस्य एडवोकेट पन्नालाल गुप्ता और विजय राठी ने किशोरी के बयान दर्ज किए। किशोरी ने धर्मा, उसकी पत्नी, बेटे सहित 15 लोगों के खिलाफ बयान दिए हैं।
बाल कल्याण समिति की ओर से खंडवा कोतवाली में शिकायत भेजी गई थी। टीआई अशोक सिंह चौहान ने ये प्रकरण मोघट थाने में या फिर रामेश्वर पुलिस चौकी में दर्ज कराने की बात कही है। किशोरी वापस मंदसौर नहीं जाना चाहती है। उसे डर है कि कहीं धर्मा उसे फिर न पकड़ ले।
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