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राष्ट्रीय सुरक्षा जांच एजेंसी यानी एनआईए कर्नाटक के बेंगलुरू में हुए विस्फोट की जांच कर रही है। इसमें एजेंसी ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। एजेंसी द्वारा पहचाने गए आरोपियों के नाम हैं-मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद, मजम्मिल शरीफ। इन लोगों को आईपीसी, यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने वाले अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।
विस्फोट में घायल हुए थे 9 लोग
चारो आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। फिलहाल ये चारो न्यायिक हिरासत में हैं। इस साल के 1 मार्च को आइटीपीएल बंगलुरू के रामेश्वरम कैफे में आईडी विस्फोट हुआ था। इसमें नौ लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। साथ ही होटल को बहुत अधिक नुकसान हुआ था। इसके बाद 3 मार्च को एनआईए ने जांच की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और इस केस की छानबीन शुरू की। एजेंसी ने राज्य पुलिस और तमाम अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर तकनीकी तथा दूसरे पहलुओं की छानबीन की।
42 दिन बाद हुई गिरफ्तारी
जांच में पता चला था कि शाजिब ने बम लगाया था। शाजिब और ताहा बीते 2020 के बाद से फरार थे। दोनों अल-हिंद मॉड्यूल के भंडा फूटने के बाद से गायब थे। एनआईए ने गहनता से छानबीन की। विस्फोट के पूरे 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल से इन्हें गिरफ्तार किया गया।
ISIS कट्टरपंथ और डार्क वेब
एनआईए की प्रेस रिलीज के अनुसार कर्नाटक के शिवमोगा जिले में रहने वाले दोनों व्यक्ति आईएसआईएस के कट्टरपंथी थे। ये दोनों भोले-भाले मुस्लिम युवकों को फसाते थे। माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ इन्हीं में से एक थे। प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ताहा और शाजिब धोखाधड़ी करके पाई गई। भारत की सिम और बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते थे। ये लोग डार्क बेव से डाउनलोड किए गए बांग्लादेशी और भारतीय दस्तावेज भी इस्तेमाल करते थे।
क्रिप्टो के जरिए पहुंचता था पैसा
ताहा को पूर्व दोषी शोएब अहमद मिर्जा ने भगोड़े मोहम्म्द शहीद फैसल से मिलवाया था। इसके बाद ताहा ने अपने हैंडलर को बाकी लोगों से मिलवाया था। ताहा और शाजिब को क्रिप्टो करेंसी के जरिए उनके हैंडलर द्वारा रुपए पहुंचाए जा रहे थे। इस पैसे का इस्तेमाल आरोपी ने बंगलुरू में ब्लास्ट करने और जांच-पड़ताल करने में किया था।
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