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दुनिया भूखी है। न केवल भोजन, फाइबर और ईंधन के लिए, बल्कि उन नवीन समाधानों के लिए जो मिट्टी और पानी जैसे प्राकृतिक संसाधनों को रीस्टोर करते हैं, और बढ़ती आबादी को खिलाने के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करते हैं।
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हमारा मानना है कि दुनिया का पेट भरना और अपने ग्रह धरती से लिए गए संसाधनों को वापस लौटाना यानी रीस्टोर करना साथ-साथ चल सकता है और यही होना भी चाहिए। यही वजह है कि बायर (Bayer) में, हम भविष्य की राह के रूप में रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर को आगे बढ़ाने के लिए किसानों और भागीदारों की बढ़ती संख्या के साथ मिलकर नवाचार कर रहे हैं। एक ऐसा भविष्य जहां खेती ज्यादा उत्पादन करने के साथ ही साथ रीस्टोर भी करती है। चावल की खेती में रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर की संभावनाएं ज्यादा
भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए भारत में चावल की खेती में रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर की संभावनाएं विशेष रूप से ज्यादा हैं। चावल की खेती की प्रणाली को आर्थिक रूप से व्यावहारिक और सस्टेनेबल बनाने की जरूरत इतनी इतनी ज्यादा कभी नहीं रही। चावल का उत्पादन न केवल जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता है बल्कि इसको बढ़ाता भी है।
सामूहिक रूप से, खेती की ऐसी प्रणालियां बनाने की तत्काल जरूरत है जो किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने और व्यावसायिक रूप से व्यवहारिक बिजनेस चलाने में मदद तो करें ही, साथ ही हमारे ग्रह की रक्षा भी करें। कृषि भूमि के और विस्तार को सीमित करें और पृथ्वी के नेचुरल इको सिस्टम को एक नई ताकत प्रदान करें।
क्या करने की जरूरत है?
रीजेनरेटिव दृष्टिकोण के साथ वैश्विक खेती में क्रांति लाना आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता आज की कृषि प्रणालियों को मौलिक रूप से बदलना और पुनर्योजी कृषि प्रथाओं पर स्विच करना है जो अधिक को बहाल करते हुए कम में अधिक उत्पादन करते हैं।
व्यावहारिक रूप से में, रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर का अर्थ है एक ऐसे कृषि कार्य की स्थापना करना, जो अलग-अलग समाधानों को एक साथ मिलाकर न केवल जलवायु और पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाकर बेहतर फसल पैदा करता है, बल्कि प्रकृति-हितैषी परिणाम भी प्रदान करता है।
जहां प्राकृतिक दुनिया के पहलुओं, जैसे कि प्रजातियों और इकोसिस्टम को रीस्टोर किया जा रहा है और जमीन को पहले से बेहतर स्थिति में ला दिया गया है। यदि व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर सिस्टम किसानों के लिए उत्पादन से ज्यादा मुनाफा और आमदनी में बढ़ोतरी करने में सक्षम हो सकता है।
इसके साथ ही दुनियाभर में कार्बनडायऑक्साइड के स्तर में कमी लाकर प्रकृति को फायदा पहुंचाया जा सकता है। इससे भविष्य की खेती ज्यादा सस्टेनेबल बनेगी जो किसानों, समाज और हमारे ग्रह सभी के लिए एक फायदे का सौदा होगा।
बायर के सिस्टम-आधारित दृष्टिकोण की रीजेनरेटिव क्षमताएं
व्यवहारिक रूप से रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर का प्रदर्शन करना और खेतों में इसके फायदों को साबित करना बायर की एक वैश्विक पहल फॉरवर्डफार्मिंग (FowardFarming) का फोकस है, साथ ही दुनिया भर के स्वतंत्र खेतों पर रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर में प्रगति का अनुभव करने का स्थान है।
किसानों और एग्रीकल्चर इकोसिस्टम से जुड़े अन्य हितधारकों के सहयोग से, फॉरवर्ड फार्मिंग का उद्देश्य कई किसानों द्वारा पहले से अपनाई गई सस्टेनेबल प्रथाओं को आगे बढ़ाना और उत्पादकता, एनवायरमेंटल रीजेनरेशन और लचीलेपन को एक साथ जोड़ते हुए एक सिस्टमैटिक एप्रोच के साथ उन्नत समाधान प्रस्तुत करना है।
इस वैश्विक नवाचार को आगे बढ़ाते हुए, बायर भारत में एक मॉडल फॉरवर्ड फार्मिंग भी लॉन्च करने जा रहा है, जो एक सिस्टमैटिक एप्रोच में जैव विविधता और किसानों की आजीविका को बेहतर करने, जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए उत्पादकता, एनवायरमेंटल रीजेनरेशन और लचीलेपन को एकीकृत करने के लिए उन्नत समाधान पेश करेगा।
यर के पास वर्तमान में दुनिया भर के 13 देशों में 28 फॉरवर्ड फार्म का नेटवर्क है और पिछले साल सितंबर में, दक्षिणपूर्व एशिया में वियतनाम में पहला फॉरवर्ड फार्म लॉन्च किया गया था।
फॉरवर्ड फार्म को क्या अलग करता है?
किसानों को उनकी जरूरत के अनुरूप समाधान, आधुनिक उपकरण और प्रैक्टिस, सक्रिय प्रबंधन उपाय और रणनीतिक साझेदारी प्रदान करके, हमारा लक्ष्य पर्यावरण को संरक्षित करते हुए उत्पादकता को बढ़ावा देना, गुणवत्ता और पैदावार में सुधार करना है। चूंकि कोई भी एक तरीका सभी के लिए उपयुक्त नहीं होता है, इसलिए इन परिणामों को प्राप्त करने का एकमात्र उपाय प्रत्येक खेत की विशिष्ट स्थितियों के लिए समाधानों के सही मिश्रण का मिलान करना है।
व्यवहार में, इसका मतलब है एक जरूरत मुताबिक कृषि संचालन स्थापित करना,एक संपूर्ण प्रणाली बनाना जो कृषि उपज और आय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न समाधानों को जोड़ती है और साथ ही उल्लेखनीय पर्यावरणीय फायदे भी प्रदान करती है।
प्रत्येक फॉरवर्ड फार्म अपने द्वारा उगाई जाने वाली फसलों, खेती की जमीन और सेवा किए जाने वाले समुदाय के मामले में अनूठा है। इन्हें एक साथ जोड़ने वाला एक सामान्य सूत्र किसान हैं, जो सस्टेनेबल और आधुनिक खेती को आगे बढ़ाने का जुनून साझा करते हैं।
हरियाणा के पानीपत में 18 हेक्टेयर में फैला, बायर फॉरवर्ड फार्म देश में करीब 15 करोड़ छोटे किसानों की जरूरतों के अनुरूप नवीन कृषि तकनीकों का प्रदर्शन करेगा। यह विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए डिजाइन की गई नई टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल तरीकों का एक संयोजन प्रस्तुत करता है।
फार्म में निम्नलिखित तरीकों को एकीकृत किया जाएगा-
- सीधी बुआई वाली धान विधि
- अभिनव खरपतवार प्रबंधन
- पोषण एवं जल प्रबंधन
- आईआरआरआई के सहयोग से कार्बन फार्मिंग
- कस्टमाइज कृषि विज्ञान प्रणाली
- खेती में टेक्नोलॉजी का दखल
- विभिन्न प्रकार की सब्जियों, फलों, अनाजों आदि की ग्रोथ के माध्यम से किसानों की आजीविका पर फॉरवर्डफार्म प्रैक्टिस के असर को दिखाने के लिए किसानों के साथ रियल टाइम एंगेजमेंट।
- मिट्टी की सेहत को संरक्षित करने और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजिकल दखल के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने पर फोकस करना।
चूंकि इन समाधानों का उद्देश्य “प्रकृति को वापस लौटाना” है, इसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में मिट्टी की सेहत में सुधार करना, वायुमंडल से हानिकारक कार्बन को हटाना, जल संसाधनों का संरक्षण करना और जैव विविधता को बनाए रखना और यहां तक कि रीस्टोर करना भी है। इसलिए इस बात पर ज़ोर देना जरूरी है कि कोई एक समाधान नहीं है, बल्कि हमेशा इन समाधानों का एक संयोजन होता है, जो रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर सिस्टम और उसके फायदे प्रदान करता है।
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