[ad_1]
गांव की महिलाओं में सेनेटरी नैपकिन के प्रति आज भी झिझक है। पिछले दिनों ये हिचकिचाहट ही एक घोटाले का भी कारण बनी। जोधपुर में 21 मई को सांगरिया रोड पर सेनेटरी नैपकिन से भरा एक ट्रक पकड़ा गया था। जिन पर राजस्थान सरकार द्वारा निशुल्क वितरण का टैग लगा था
.
आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि जैसलमेर-पोकरण के आंगनवाड़ी केंद्रों पर सप्लाई होने वाले सेनेटरी नैपकिन बड़ी संख्या में बच जाते थे, क्योंकि गांव की महिलाएं इनका इस्तेमाल करने में झिझक महसूस करती थी। आंगनवाड़ी केंद्रों पर नैपकिन सप्लाई करने वाले दो सप्लायर केंद्रों पर बचे सेनेटरी नैपकिन सप्लाई करने वाली कंपनी को ही नाममात्र दाम पर बेचने लगे। इस मामले में बासनी थानाधिकारी मोहम्मद शफीक खान ने बताया कि सेनेटरी नैपकिन की कालाबाजारी हो रही थी। ये रैपर बदलकर बेचे जाते। इस मामले में 8 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
ग्रामीण महिलाएं सेनेटरी नैपकिन लेने नहीं आती थी, आधे से ज्यादा स्टॉक बच जाता
जगदीश सारण पर जैसलमेर के आंगनवाड़ी केंद्रों व स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन आपूर्ति करने की जिम्मेदारी थी। अधिकांश महिलाओं द्वारा नैपकिन नहीं लेते से वहां स्टॉक बचने लगा। कुछ समय बाद जगदीश उस डिब्बे में बचे सेनेटरी नैपकिन के पैकेट उठाने लगा। उसने जैसलमेर के ब्लॉक लेवल इंचार्ज नरपतदान उर्फ जेठूदान के साथ मिलकर नैपकिन निर्माता कंपनी के सुनील रामचंदानी से संपर्क किया।
फिर सुनील को लालच दिया कि सरकार तुम्हें एक पैकेट के 14 रुपए देती हैं। हमारे पास 2 हजार पैकेट हैं, जो हम तुम्हें 4 रुपए प्रति पैकेट के हिसाब से दे सकते हैं। सुनील भी इसमें शामिल हो गया। इसके बाद सुनील ने पैड कम सप्लाई करने शुरू कर दिया, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में संख्या पहले जितनी ही रखता। सुनील जितने पैड कम भेजा उसकी आपूर्ति जगदीश करता और सुनील उसके बदले जगदीश को भुगतान कर देगा। जबकि सुनील सरकार से पूरा भुगतान भी उठा रहा था।
[ad_2]
Source link