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एनजीटी ने दिल्ली में जलभराव की घटनाओं सख्त रुख के संकेत दिए हैं। न्यायाधिकरण ने दिल्ली में जलभराव और जल निकायों या वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) के गायब होने को लेकर जल शक्ति मंत्रालय, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) एवं अन्य से जवाब मांगा है। एनजीटी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह रुख अपनाया है।
एनजीटी एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इसमें एक अखबार की रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव की समस्या के लिए मुख्य रूप से वेटलैंड्स के गायब होने और अपर्याप्त जल निकासी बुनियादी ढांचे को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन भी इसकी वजहें हैं।
एक आदेश में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा- यह रिपोर्ट पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाती है। फिर पीठ ने मामले में डीपीसीसी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिवों, जल शक्ति मंत्रालय के सचिव और जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को पक्ष या प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।
न्यायाधिकरण ने कहा कि उपर्युक्त प्रतिवादियों को हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किए जाएं। पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख दी है।
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