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टोरंटो. ‘लिबरल बहुत कमजोर हैं, बहुत स्वार्थी हैं, कॉर्पोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं, इसलिए वह लोगों के लिए लड़ नहीं सकती. वे बदलाव नहीं ला सकते, ना ही वो उम्मीदों पर खड़े उतर सकते, इसलिए मैं 2022 के समझौते को ‘रद्दी की पेटी’ में डाल रहा हूं…‘
ऊपर लिखी हुईं बातें खालिस्तानियों के समर्थक और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सूई की तरह चुभ रही होंगी. उनको सत्ता हाथ से जाने का डर सताने लगा है. दरअसल, बुधवार 4 सितंबर को उनके सहयोगी और कनाडा के न्यू डोमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने ये बातें कहते हुए ट्रूडो सरकार की लिबरल पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया था. अब ट्रूडो की पार्टी अल्पमत में आ गई है और सरकार का गिरना तय माना जा रहा है.
हालांकि, कनाडा में आम चुनाव अक्टूबर 2025 में होने वाले हैं. इतने समय तक सरकार चलाने के लिए ट्रूडो को विपक्ष से समर्थन हासिल करना होगा, नहीं तो तय है कि कनाडा में तय समय से पहले चुनाव करानी पड़ सकती है. ऐसे में देखना होगा कि कनाडा में संसद कार्य कर पाती है या नहीं? अब जानना जरूरी है कि कौन है जगमीत सिंह, जिन्होंने कनाडा का राजनीति में भूचाल ला दिया है.
कौन हैं जगमीत?
जगमीत सिंह का जन्म पंजाब के बरनाला जिले के ठीकरिवाल गांव में हुआ था, उसका परिवार 1993 में कनाडा जाकर शिफ्ट हो गया. जगमीत सिंह भारत 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर के लगातार विवादित बयान देते रहे हैं और कई मौकों पर उन्होंने भारत के खिलाफ भी बयान दिया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2013 में जब जगमीत सिंह अमृतसर में किसी प्रोग्राम में भाग लेने के लिए वीजा के लिए अप्लाई किया था, तब भारत सरकार ने उन्हें वीजा नहीं दिया था. इस पर उन्होंने बयान दिया, ‘मैं हमेशा से 1984 के दंगे के पीड़ितों की इंसाफ की बात करता हूं, इसीलिए भारत सरकार मुझे वीजा नहीं दे रही है.’
जगमीत के बारे में गूगल पर काफी सर्च हो रहा है. इंडिया एक्सप्लोर में यह टॉपिक छाया रहा.
इस बारे में ग्लोबर स्तर पर भी खूब सर्च किया गया.
रीजन वाइड कनाडा टॉप पर
1984 के दंगे पर भारत के खिलाफ जहर
वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि जगमीत सिंह सिर्फ 1984 के सिख विरोधी दंगों पर भारत के खिलाफ बयान नहीं देते रहे हैं, जबकि उनको जब भी, जहां भी और जैसे भी मौका मिला उन्होंने भारत के खिलाफ बयान देने और काम करने की कोशिश की. उनको कई मौकों पर खालिस्तान की रैलियां में शामिल होते देखा गया है. वे हमेशा से खालिस्तान आंदोलन का समर्थक रहे हैं और उनको सह देते रहे हैं. हालांकि, राजनीति में आने के बाद उसने खालिस्तान संबंधी किसी भी आंदोलन में जाने या उन पर बात करने से बचते रहे हैं.
2022 से ट्रूडो को समर्थन
ट्रूडो और जगमीत के बीच मार्च 2022 में समर्थन को लेकर के एक समझौता हुआ था. इस समझौते को सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस के नाम से जाना जाता है. इसमें ट्रूडो की पार्टी ‘लिबरल’ को पार्टियां विश्वास मत के लिए समर्थन देती है. मालूम हो कि पिछले चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को मात्र 156 सीट मिली थी, उनकी पार्टी बहुमत की जादुई आंकड़ा 170 से 14 सीट पीछे रह गई थी. वहीं, जगमीत की पार्टी को 2021 की इलेक्शन में 24 सीट मिली थी, जिनके समर्थन से अभी तक जस्टिन ट्रूडो सरकार चला रहे थे.
Tags: Canada, Justin Trudeau
FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 10:50 IST
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