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सुप्रीम कोर्ट ने रांची में सेना की 4.55 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कथित जमीघ घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें आरोपी को जमानत दिए जाने को चुनौती दी गई थी। इस मामले में कथित तौर पर फर्जी संपत्ति दस्तावेज तैयार किए गए थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी हैं। फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि आरोपी दिलीप घोष को जमानत देने के झारखंड हाईकोर्ट के 28 नवंबर, 2023 के आदेश को अन्य सह-आरोपियों के मामले में मिसाल नहीं माना जाएगा। पीठ ने शुक्रवार को पारित अपने आदेश में कहा कि हम इसमें हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। अदालत ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, यह स्पष्ट करती है कि हाईकोर्ट का निर्णय और आदेश अन्य सह-आरोपियों के मामले में मिसाल के तौर पर उद्धृत नहीं किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मामले में हाईकोर्ट की किसी भी टिप्पणी से मुकदमे के दौरान निचली अदालत/विशेष अदालत में सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने विशेष अदालत को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत की ओर से घोष और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ आरोप पहले ही तय किए जा चुके हैं, मुकदमा भी शुरू होने वाला है।
हालांकि पीठ ने ईडी को स्वतंत्रता दी कि यदि घोष की ओर से हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों का उल्लंघन किया जाता है या कोई देरी करने की रणनीति अपनाई जाती है, तो वह जमानत को रद्द करने की मांग भी कर सकता है। इस तरह पीठ ने कहा- यह विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। शीर्ष अदालत ने संबंधित भूमि की बिक्री से संबंधित वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिए घोष के बैंक स्टेटमेंट मांगे। ईडी का दावा है कि भारतीय सेना से संबंधित 4.55 एकड़ जमीन को गैर-मालिकों की ओर से फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचा गया था।
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