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दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने नौकरी के बदले जमीन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव और 8 अन्य आरोपियों को समन जारी करने पर फैसला टाल दिया है। इस मामले को आदेश के लिए 13 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया था।
इससे पहले राऊज एवेन्यू कोर्ट ने17 अगस्त और फिर 24 अगस्त को भी राजद नेताओं समेत अन्य आरोपियों को PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब करने पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। 24 अगस्त को हुई सुनवाई में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने अभियोजन पक्ष की शिकायत (ईडी के आरोपपत्र के समकक्ष) पर आदेश को 7 सितंबर तक के लिए टाल दिया था और कहा कि कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
इस मामले में 6 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लालू, तेजस्वी और नौ अन्य के खिलाफ पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दायर किया था। तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। इस पूरक आरोप पत्र में ललन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेश्वर सिंह, रविंदर कुमार, दिवंगत लाल बाबू राय, सोनमतिया देवी, दिवंगत किशुन देव राय और संजय राय का नाम है और 96 दस्तावेज भी हैं। 6 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट ने समय देते हुए निर्देश दिया था कि ईडी अगली सुनवाई तक अतिरिक्त/अंतिम आरोप पत्र दाखिल करे। इस मामले में बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी ने पहले ही चार्जशीट दाखिल कर दी है।
ईडी का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। ईडी के अनुसार, यह मामला साल 2004 से 2009 तक प्रसाद के रेल मंत्री रहने के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में ‘ग्रुप-डी’ कर्मचारियों की नियुक्तियों से संबंधित है। इसके तहत जिन लोगों की नियुक्ति हुई, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख के परिवार या सहयोगियों के नाम पर भूखंड उपहार में दिए या हस्तांतरित किए थे।
अप्रैल में कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया था कि वह जमीन के बदले नौकरी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबित जांच को दो सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दे। इस मामले में बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के साथ ही अमित कत्याल और हृदयानंद चौधरी के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की गई है। अमित कत्याल को छोड़कर सभी आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए।
इस केस में 28 फरवरी को कोर्ट ने राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी को नियमित जमानत दे दी थी। कोर्ट ने जमीन के बदले नौकरी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 27 जनवरी को बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी और अन्य आरोपियों को समन जारी किया था। जांच के दौरान ईडी ने अमित कत्याल को गिरफ्तार किया था।
इस मामले में एके इंफोसिस्टम और एबी एक्सपोर्ट नाम की दो फर्म भी आरोपी हैं। ईडी ने दलील दी थी कि 2006-07 में अमित कत्याल ने एके इंफोसिस्टम का गठन किया था और इसका कारोबार आईटी डेटा एनालिसिस था। कोई वास्तविक कारोबार नहीं किया गया। इसके बजाय कंपनी ने कई जमीनें खरीदीं। एक जमीन का टुकड़ा मुख्य अपराध से संबंधित है, जो कि नौकरी के लिए जमीन है। ईडी ने दलील दी कि यह कंपनी 2014 में एक लाख रुपए के बदले राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम पर ट्रांसफर की गई थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 9 जनवरी, 2024 को जमीन के बदले नौकरी घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दायर की। ईडी ने दलील दी कि एबी एक्सपोर्ट एक्सपोर्ट का कारोबार करती है। इसे 1996 में निगमित किया गया था। 2007 में पांच कंपनियों के जरिए पांच करोड़ रुपए आए और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक प्रॉपर्टी खरीदी गई। इस मामले में सात जमीनें शामिल हैं। इनमें से राबड़ी, हेमा यादव और मीसा भारती को जमीनें मिली थीं। बाद में उन्होंने अपनी जमीनें बेच दीं। ईडी के विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि यादव परिवार के सदस्य अपराध की आय के लाभार्थी हैं। कत्याल को उनका करीबी सहयोगी बताया जाता है।
ईडी की जांच में पाया गया कि लालू यादव के परिवार द्वारा ग्रुप-डी के गरीब आवेदकों से मात्र 7.5 लाख रुपए में खरीदी गई जमीन के 4 पार्सल को राबड़ी देवी ने मिलीभगत से 3.5 करोड़ रुपए के भारी लाभ के साथ पूर्व आरजेडी विधायक सैयद अबू दोजाना को बेच दिया। ईडी की जांच में आगे पता चला कि इस तरह से प्राप्त राशि का एक बड़ा हिस्सा तेजस्वी प्रसाद यादव के खाते में स्थानांतरित किया गया था। जांच में पता चला कि इसी तरह से रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी के बदले कई गरीब अभिभावकों और उम्मीदवारों से जमीन ली गई थी। ईडी ने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि कई रेलवे जोन में 50 प्रतिशत से अधिक भर्ती उम्मीदवार लालू यादव के परिवार के निर्वाचन क्षेत्रों से थे।
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