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झारखंड के गढ़वा जिले में एक करैत सांप ने कहर बरपा दिया। जिले के चिनिया थानांतर्गत चपकली गांव के नवानगर टोले में गुरुवार देर रात सर्पदंश से तीन बच्चों की मौत हो गई और चौथे की स्थिति गंभीर बनी हुई है। उसका सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। गांव में सर्पदंश से एक साथ तीन बच्चों की मौत से कोहराम मच गया है। मृतकों में सभी एक ही परिवार के बच्चे थे।
घटना के संबंध में मृतक बच्चों के परिजनों ने बताया कि इलाके में जंगली हाथियों का प्रकोप है। हाथियों के हमले से बचने के लिए परिवार के सभी सदस्य रात में एक ही साथ रह रहे थे। उनमें 8-10 बच्चे भी शामिल थे। सभी बच्चे एक साथ एक ही कमरे में जमीन पर सो रहे थे। रात करीब एक बजे उनमें से चार बच्चों को सांप ने डंस लिया।
घटना के बाद सभी बच्चों को झाड़फूंक के लिए पास के गांव में ले गए। वहां दो बच्चों बंधु कोरवा के 15 वर्षीय पुत्र पन्ना लाल कोरवा और स्व रामलाल कोरवा की 8 वर्षीय पुत्री कंचन कुमारी ने दम तोड़ दिया। वहीं अस्पताल ले जाने के क्रम में धुरकी थानांतर्गत सूरज देव कोरवा की 9 वर्षीय बेटी बेगी कुमारी की मौत भी रास्ते में हो गई। वहीं उसकी ममेरी बहन छह वर्षीय राखी कुमारी इलाजरत है। सभी बच्चे अपने दादा-नाना रिझन कोरवा के घर पर एकत्रित होकर सो रहे थे। रिझन मृतक पन्ना लाल और कंचन के दादा हैं।
हाथियों का है आतंक
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक हैं। हाथी हमला कर न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि जानमाल के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं। कच्चे मकानों को भी क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। उसी डर से शाम होते ही गांव के लोग सुरक्षित स्थलों पर पनाह लेने चले जाते हैं। कोई स्कूल की छत पर सोने जाता है तो कोई किसी के घर। उसी क्रम में बच्चे रिझन कोरवा के घर हाथी के डर से सोते थे। रिझन मृतक बच्चों के दादा-नाना हैं। परिवार के आठ-10 बच्चे एक साथ रिझन के घर ही लगातार सो रहे थे।
बच्चों ने डसने के बाद सांप को मार डाला
गुरुवार रात को भी अन्य दिनों की तरह एक साथ सो रहे थे। उसी दौरान दरवाजे से ही बिषैला करैत सांप घर के अंदर घुस गया। उसके बाद जमीन पर सो रहे चार बच्चों को डंस लिया। उसी दौरान बच्चों की नींद खुली। सांप देखकर सभी शोर मचाने लगे। उसके बाद बच्चों ने ही उक्त सांप को मार डाला। उसके बाद सर्पदंश के शिकार बच्चे भी एक-एक कर बेहोश होने लगे। यह देखकर बाकी बच्चों ने परिवार के सदस्यों को घटना की जानकारी दी। उसी दौरान दो बच्चों की मौत मौके पर ही हो गई। उसके बाद सर्पदंश के शिकार मृत बच्चों के अलावा दो अन्य बच्चों को परिजन झाड़फूंक के लिए पहले थानांतर्गत डोल गांव ले गए। वहां ठीक नहीं होने पर जिलांतर्गत खरौंधी ले गए। खरौंधी ले जाने के क्रम में तीसरे बच्चे की भी मौत हो गई।
कंचन ने 20 दिन पहले ही अपनी मां को खोया था
सर्पदंश से मृत कंचन कुमारी की मां की मौत भी 20 दिन पहले स्कूल की छत से गिरने से हो गई थी। वह भी जंगली हाथियों से जान बचाने के लिए स्कूल की छत पर सोयी थी। रात में छत से गिर जाने से उसकी मौत हो गई थी। उसके पिता रामलाल कोरवा की मौत भी एक साल पहले हो गई थी। फिलहाल घर पर अब उसकी बहन सीता कुमारी, प्रियंका कुमारी, राखी कुमारी और भाई श्रवण कोरवा बच गए हैं। माता-पिता की मौत के बाद सभी बच्चे पहले से ही अनाथ हो गए थे। सभी को उनके बड़े चाचा बच्चा लाल कोरवा पालन पोषण कर रहे हैं।
अंधविश्वास भी बन रहा ग्रामीणों की सर्पदंश से मौत का कारण
सर्पदंश के मरीजों को अभी भी इलाज के लिए तत्काल अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सर्पदंश की घटनाओं के बाद मरीजों को झाड़फूंक के लिए पहले ले जाते हैं। उससे मरीजों की स्थिति बिगड़ जाती है। जबतक अस्पताल लाया जाता है तबतक काफी देर हो जाता है। बच्चों की मौत के मामले मे भी ऐसा ही हुआ। दो बच्चों की मौत घटनास्थल में ही होने के बाद उन्हें जीवित करने और बाकी बचे दोनों बच्चों को ठीक करने के लिए परिजन झाड़फूंक कराने पास के डोल गांव ले गए। वहां ठीक नहीं होने पर मृतक बच्चों सहित दोनों बच्चों को खरौंधी ले गए। उसमें तीसरे बच्चे की भी मौत हो गई। उसके बाद परिजन चौथे बच्चे को सदर अस्पताल लाकर भर्ती कराए। उसका इलाज चल रहा है।
(सांकेतिक तस्वीर)
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