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झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में शुक्रवार को रांची के आसपास के जलस्रोतों पर अतिक्रमण हटाने के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक कहा कि रांची शहर में कभी 71 तालाब होने की बात सरकार की ओर से बताई गई थी, लेकिन इनमें से अधिकांश तालाबों का अब अस्तित्व नहीं है। सरकार बताए कि गायब हुए तालाबों के पुनरुद्धार के लिए कोई योजना बनाई गई है या नहीं।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर रांची नगर निगम की ओर की गई कार्रवाई के संबंध में भी जवाब मांगा है। इसी दौरान कांके रोड के विद्यापति नगर के एक तालाब को कचरे से भर दिए जाने को लेकर हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई, जिस पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तिथि निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक कहा कि रांची के धुर्वा, कांके और गेतलसूद डैम के आसपास के अतिक्रमण को हटाए जाने की कार्रवाई होनी जरूरी है, क्योंकि डैम के कैचमेंट एरिया का अतिक्रमण हुआ है। इसकी वजह से तीनों डैम के पानी संरक्षित रखने की क्षमता पर असर पड़ा है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रांची शहर के कांके, धुर्वा और गेतलसूद डैम में पिछले पांच साल में पानी की स्थिति को लेकर झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर की ओर से सर्वे किया जा रहा है। इसके लिए उसे 38 लाख रुपये की फंडिंग भी की गई है।
बड़ा तालाब पर निगम से जवाब मांगा
झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के बड़ा तालाब के पानी से बदबू आने पर नगर निगम से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि तालाब के आसपास के सभी नाली को ट्रीटमेंट प्लांट से क्यों नहीं जोड़ा गया है। सिर्फ बड़ा तालाब के बगल की एक नाली को वाटर ट्रीटमेंट से जोड़ने से काम नहीं चलेगा। सभी नालियों का पानी ट्रीटमेंट के बाद ही बड़ा तालाब में जाने दिया जाए।
ई-बॉल का असर नहीं
रांची नगर निगम ने सफाई के नाम पर बड़ा तालाब में ई-बॉल डालने की बात कही थी, लेकिन उसका भी कुछ असर नहीं हो रहा है। बड़ा तालाब का पानी अभी भी प्रदूषित और बदबूदार है।
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