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उदयपुर में बादल, बारिश और हरियाली का संगम देखने को मिल रहा है। सितंबर की शुरुआत में इंद्रदेव ने बारिश की कमी को पूरा कर दिया। बांध छलकने लगे तो झीलों में पानी की आवक हो गई।
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औसत बारिश का आंकड़ा भी 13 प्रतिशत ज्यादा है। 6 सितंबर तक यहां 574.4 एमएम बारिश होती है। इस बार 620.4 एमएम हो चुकी है।
आसमान में छाए बादल यहां के सज्जनगढ़ मानसून पैलेस की 3000 हजार फीट ऊंचाई से ऐसे लगते हैं, मानो हमारे करीब हों और कह रहे हों- अभी बरसना बाकी है। झीलों की यह नगरी सुहावने मौसम में सभी को लुभा रही है।
भास्कर ने उदयपुर शहर की इस खूबसूरती को अपने यूजर्स के लिए ड्रोन से कैद किया। देखें वीडियो और फोटोज…
यह उदयपुर का सज्जनगढ़ मानसून पैलेस है। करीब तीन हजार फीट ऊंचाई पर इस मानसून पैलेस से उदयपुर की झीलें, पुराना व नया शहर और आसपास का जंगल और पहाड़ दिखाई देते हैं। बारिश और बादलों के समय यहां जन्नत जैसा एहसास होता है।
मानसून पैलेस के ऊपर से बादल भी लगते करीब प्रदेश में इस साल मानसून की एंट्री उदयपुर संभाग से हुई। हालांकि जुलाई-अगस्त में जितनी बारिश होनी थी, नहीं हुई थी। इस कमी को सितंबर की दो दिन में हुई बरसात ने ही पूरा कर दिया। पिछोला और फतेहसागर झील में पानी की आवक हुई। पहाड़ हरे हो गए। ऐसे में टूरिस्ट प्लेस पर लोग पहुंच रहे हैं और सुहाने मौसम का आनंद ले रहे हैं।
शहर का सज्जनगढ़ मानसून पैलेस अरावली की वादियों से घिरा हुआ है। पहाड़ की ऊंची चोटी पर बना हुआ है। ऊपर महल तक पहुंचते ही ऐसा लगता है मानो बादलों के ऊपर चल रहे हैं और उनको छू रहे हैं।
मानसून पैलेस से पूरा शहर किसी जन्नत से कम नहीं लगता। बारिश, बादल और हरियाली के बीच यहां आने वाले लोग जिस दिशा में घूमेंगे, उस दिशा में चारों ओर हरियाली नजर आएगी। मानसून पैलेस के आगे से उदयपुर की पिछोला और फतेहसागर झील दिखती है।
झीलों के किनारे से शहर के बाहर की बसावट और ओल्ड सिटी दिखता है। बारिश में धुले शहर की ऐसी छवि नजर आती है कि फतेहसागर के बीच नेहरू पार्क और पिछोला के बीच जग मंदिर भी दूर से ही दिखाई देने लगे हैं। यहां से बड़ी का तालाब भी दिखता है।
उदयपुर शहर में रामपुरा-नाई रोड पर यह सीसारमा नदी है। सीसारमा नदी में नांदेश्वर चैनल और बुझड़ा नदी से पानी आता है। सीसारमा नदी का पानी पिछोला झील को भरता है।
बारिश में सूखे पहाड़ हुए हरे मानसून पैलेस के चारों तरफ से शहर की पहाड़ियां भी आसानी से दिखती हैं। बारिश के मौसम में पहाड़ भी हरे-भरे हो गए हैं। ऐसे में प्राकृतिक सुंदरता की इस मनोरम छटा को हर कोई अपने मोबाइल में कैद करने को आतुर है।
यह शहर के बीच से गुजर रही आयड़ नदी है। इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। इस पर करीब 50 करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे। बारिश के दिनों में जब शहर के बीच से इस नदी का पानी गुजरता है तो खूबसूरती बढ़ जाती है।
पैलेस के आसपास बने हैं रिसॉर्ट सज्जनगढ़ के आसपास बड़ी संख्या में रिसॉर्ट और होटल हैं। सज्जनगढ़ के मुख्य गेट के पास से जा रहे रास्ते पर भी रिसॉर्ट हैं। वहीं बड़ा हवाला वाली रोड और शिल्पग्राम रोड पर भी रिसॉर्ट हैं। इसके आगे रामपुरा, कोड़ियात वाली रोड पर भी बड़ी संख्या में रिसॉर्ट और फाइव स्टार होटल हैं। टूरिस्ट को सज्जनगढ़ मानसून पैलेस घुमाने का भी प्रबंध रिसॉर्ट संचालकों की ओर से किया जाता है।
यह उदयपुर का स्वरूप सागर है। जब भी पिछोला झील लबालब हो जाती है, तब जल संसाधन विभाग स्वरूप सागर के गेट खोलता है। गेट खोलने के बाद पानी उदयपुर शहर की आयड़ नदी से होकर उदयसागर झील में जाता है।
सज्जनगढ़ लॉयन सफारी जल्द होगी शुरू सज्जनगढ़ के मुख्य गेट के पास ही लॉयन सफारी बनाई जा रही है। जयपुर के नाहरगढ़ के बाद यह प्रदेश की दूसरी लॉयन सफारी होगी। इसकी शुरुआत अगले महीने होने की संभावना है। यह बायो पार्क के बिल्कुल सामने की तरफ खाली जमीन पर बनाई जा रही है, जो हवाला गांव जाने वाले रास्ते से सटी होगी। यहां गुजरात से शेर के जोड़े को भी लाया गया है। इसमें 7 साल का लॉयन सम्राट और 3 साल की सुनयना है। दोनों को यहां छोड़ा जाएगा। लॉयन ब्रीडिंग पर फोकस होगा ताकि सफारी में लॉयन का परिवार बढ़ सके।
यह चिकलवास फीडर है। इसे चारों तरफ से हरियाली से भरी पहाड़ियों ने घेरा हुआ है। यह कैचमेंट एरिया है, जिसका पानी आयड़ नदी में जाता है।
पानी के नजारे भी ड्रोन में कैद सज्जनगढ़ की तलहटी में ही बायो पार्क बनाया गया है। वहां पर बड़ी संख्या में शेर से लेकर कई वन्य जीव आराम से देखे जा सकते हैं। इसमें मुख्य विंडो से टिकट लेकर गोल्फ कार्ट से जाना होता है।
ड्रोन के जरिए शहर में पानी के नजारे भी कैद किए गए। इसमें अभी जब उदयपुर की पिछोला झील लबालब होने के बाद स्वरूप सागर के गेट से लेकर सीसारमा नदी से बहता पानी तक कैद किया गया।
यह वह रास्ता है, जिससे सज्जनगढ मानसून पैलेस पहुंचा जाता है। इस सर्पिलाकार रास्ते की चढ़ाई पार करते हुए पैलेस तक पहुंचते हैं।
जानिए मानसून पैलेस के बारे में मेवाड़ राजवंश के महाराणा सज्जन सिंह ने इस पैलेस को 1884 में बनवाया था, इसलिए इसका नाम सज्जनगढ़ रखा गया। सज्जन सिंह का असामयिक निधन होने से महल का निर्माण रुक गया था। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी महाराणा फतेह सिंह ने महल के निर्माण का काम पूरा किया। दावा किया जाता है कि बारिश की पहली बूंद इस पैलेस पर ही गिरती है। ऐसे में राजपरिवार मानसून का लुत्फ उठाने यहीं आता था।
यह नजारा सज्जनगढ़ की पहाड़ी से कैप्चर किया गया है। यहां से फतेहसागर और पिछोला दोनों झील के साथ शहर का नजारा भी दिखता है।
कहा जाता है कि महाराणा सज्जन सिंह ने अपने पैतृक घर चित्तौड़गढ़ का नजारा देखने के लिए इसे पहाड़ी की चोटी पर बनवाया था। उदयपुर से चित्तौड़गढ़ की दूरी करीब 110 किलोमीटर है। हालांकि बढ़ती आबादी और शहरी-ग्रामीण विकास के बाद अब यहां से उदयपुर शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण इलाके भी दिखते हैं। यह अरावली रेंज के बंसदारा चोटी पर समुद्र तल से 944 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह सुंदर महल सफेद संगमरमर से बना है। उदयपुर आने वाले पर्यटक यहां से सनसेट देखना भी नहीं भूलते।
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