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– स्वास्थ्य और जीवन बीमा को छोड़कर बाकी में राहत की संभावना बेहद कम – सार्वजनिक इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन व कलपुर्जों पर जीएसटी की दरों को कम करने पर चर्चा संभव
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
अगले सप्ताह नौ सितंबर को होने जा रही जीएसटी परिषद की बैठक में कर संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। इसमें शिक्षण संस्थानों को जीएसटी नोटिस, विदेशी एयरलाइंस कंपनियों से बकाया भुगतान और सार्वजनिक इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग पर जीएसटी की दरों को कम करने संबंधी अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। जानकार बताते हैं कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम के अतिरिक्त कोई बड़ा फैसला होने की संभावना कम है। क्योंकि जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने संबंधी कमेटी ने किसी बड़े बदलाव की सिफारिश नहीं की है।
बताया जा रहा है कि लंबे समय से ऑटोमोबाइल बाजार से जुड़े लोग मांग कर रहे हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों पर लगने वाली जीएसटी की दरों को 18 फीसदी से घटाकर कम किया जाए। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जीएसटी की दरों को कम करने से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी आएगी, जिससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अगर डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों पर निर्भरता कम करनी है तो उसके लिए कीमतों में कमी की आवश्यकता है। खासकर तौर पर चार पहिया (कार) वाहन की बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसी तरह से अभी तक सरकार सार्वजनिक इलेक्ट्रिक चार्जिंग पर 18 फीसदी जीएसटी ले रही है, जिसे हटाने की मांग हो रही है। इसके पीछे भी यही तर्क है कि अगर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में हम काम कर रहे हैं तो उसके लिए चार्जिंग पर जीएसटी नहीं लगनी चाहिए या फिर न्यूनतम जीएसटी लगाई जाए। लेकिन इन दोनों मुद्दों पर ही राहत मिलने की संभावना कम है। क्योंकि जीएसटी की दरों को व्यावहारिक बनाने के लिए गठित फिटमेंट कमेटी 18 फीसदी जीएसटी की दर को बरकरार रखा है। हालांकि अंतिम फैसला चर्चा के बाद परिषद को लेना है।
इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा
– बीते कुछ महीनों में डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) ने आईआईटी दिल्ली समेत करीब 7 शिक्षण संस्थानों को नोटिस जारी कर 220 करोड़ से अधिक जीएसटी की मांग की है। इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय व शिक्षण संस्थानों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई है। शोध से जुड़े फंड पर जीएसटी लगाए जाने को लेकर बैठक में चर्चा हो सकती है।
– भारत ने विदेशी एयरलाइंस कंपनियों से 10 हजार करोड़ रुपये से ऊपर के भुगतान की मांग कर रखी है। इसको लेकर भी बैठक में चर्चा की संभावना है। यहां पर डीजीजीआई ने विदेश स्थित एयरलाइंस कंपनी के मुख्यालय से सर्विस का आयात करने पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का मामला है।
– तकनीकी कंपनियों के मामले में देखा जाए तो डाटा रखने वाली एमेजॉन, गूगल और मेटा जैसी कंपनियों को राहत देने पर भी विचार किया जा सकता है।
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