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दिल्ली सरकार ने अब राजधानी की जेलों में बंद कैदियों की अस्वाभाविक मौत होने पर उनके परिजनों और कानूनी वारिसों को मुआवजा देने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने शुक्रवार को खुद इस बारे में जानकारी दी है।
कैलाश गहलोत शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर बताया, ”अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जेलों में बंद कैदियों की अस्वाभाविक मौत होने पर उनके परिजनों/कानूनी वारिसों को 7.5 रुपये लाख का मुआवजा देने का फैसला किया है। यह निर्णय जेल प्रणाली के भीतर न्याय और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई नई नीति का हिस्सा है। इस नीति में दोषी जेल अधिकारियों के वेतन से मुआवजे की वसूली का प्रावधान भी है। इस प्रस्ताव को माननीय उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है।”
मंत्री ने आगे लिखा, ”यह उन सभी कैदियों के परिवारों को सहायता प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है जिनकी मृत्यु अस्वाभाविक परिस्थितियों में जेल में हो जाती है, साथ ही जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”
दिल्ली सरकार जेलों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध : गहलोत
न्यूज एजेंसी वार्ता के अनुसार, गहलोत ने पिछले शनिवार को तिहाड़ जेल का दौरा कर कहा था कि सरकार जेलों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जेल की स्थितियों में सुधार के लिए दिल्ली सरकार के चल रहे प्रयासों के तहत तिहाड़ जेल का दौरा कर कैदियों को दी जा रही बुनियादी सुविधाओं का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार जेलों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। तिहाड़ जेल का हमारा यह दौरा जेल की स्थितियों में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम है कि कैदियों को आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जाएं, जिससे कि वह खुद को सुधारें। हमारा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति में सुधार करने की क्षमता होती है और उसे ऐसा करने के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कैदियाें को व्यवसायिक प्रशिक्षण देने वाले गैर सरकारी संगठनों की सरहाना की और इस बात पर बल दिया था कि कैसे ये कार्यक्रम जेल से बाहर आने के बाद कैदियों के पुनर्वास में मददगार साबित होंगे। कैलाश गहलोत ने महिला कैदियों के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की भी समीक्षा की और मेडिकल रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसे वह राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ लेने की योजना बना रहे हैं। बाद में उन्होंने सेंट्रल जेल नंबर-3 का भी दौरा किया, जहां उन्होंने गौशाला, लंगर (सामुदायिक रसोई) और 120 बिस्तरों वाले अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने कैदियों के लिए तैयार किए गए भोजन की स्वच्छता और गुणवत्ता की सराहना की।
उन्होंने कैदियों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए गहन कौशल विकास कार्यक्रमों के विस्तार का निर्देश दिया। व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास प्रयासों को बढ़ाने के लिए जेल विभाग कई संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है।
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