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हरतालिका तीज सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के सबसे बड़े पर्व में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। इस दिन भोलेना
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उन्होंने बताया कि महिलाएं तीज में निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर घर में मंदिर में स्थापित करते हैं। माता का श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, हाथों पर मेहंदी रचाती है और रात में माता गौरी की पूजा करती है। सुहागिनों के साथ ही कुंवारी लड़कियां भी इस दिन उपवास करती है।
कैसे और क्यों मनाया जाता है तीज
हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल 5 सितंबर दिन गुरुवार को दिन 10 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 6 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती है।
अविवाहित युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन उपवास करती है। हरतालिका तीज को मनाने का एक कारण माता पार्वती और भगवान शिव है। मान्यता है कि माता पार्वती ने ही सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इस दिन माता पार्वती का अनुसरण करते हुए महिलाएं शिवजी और माता पार्वती जैसा दांपत्य जीवन पाने की कामना करती है।
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