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<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान में सिंध पुलिस की पहली हिंदू महिला अधिकारी ने कहा कि उनकी कहानी से उनके समुदाय की और लड़कियां भी प्रेरणा लेंगी और इस पेशे में आने का विकल्प चुनेंगी. जैकोबाबाद से ताल्लुक रखने वाली पुलिस उपाधीक्षक (DSP) मनीषा रोपेटा ने 2021 में सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी, जो प्रगतिशील विचारधारा वाले उनके जैसे मध्यम वर्गीय परिवार के लिए दुर्लभ बात है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ‘जब मैं 13 साल की थी तब हमने अपने पिता को खो दिया था जो जैकोबाबाद में एक व्यापारी थे . तब से हमारे इकलौते भाई ने मुझे पुलिस बल में शामिल होने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया और मेरा समर्थन किया.’ डीएसपी रोपेटा ने कहा कि उनके साथी अधिकारी और सहकर्मी उनका सम्मान और उनके कार्य की सराहना करते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">मनीषा रोपेटा ने कहा, ‘कुछ लैंगिक मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन मैं खुद को अलग-थलग महसूस नहीं करती और न ही यह बात मायने रखती है कि मैं एक हिंदू महिला हूं. आज भी जब मैं पुलिस की वर्दी पहनती हूं, तो मुझे गर्व महसूस होता है और मुझे उम्मीद है कि हमारे समुदाय की लड़कियां मेरी कहानी से प्रेरित होकर मेरे द्वारा अपनाए रास्ते पर चलेंगी.’ मनीषा रोपेटा ने कहा कि उनका पुलिस बल में शामिल होना एक बड़ा कदम है, क्योंकि सिंध में शिक्षित हिंदू परिवारों की लड़कियां आमतौर पर चिकित्सा या शिक्षण पेशे को अपनाती हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान पुलिस में दो तरह के अधिकारी वर्ग हैं: एक वर्ग वह है जो अपने अनुभव के आधार पर उच्च पदों तक पहुंचता है और दूसरे वर्ग के अधिकारी सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेस (CSS) परीक्षा पास करने के बाद नियुक्त और पदोन्नत होते हैं. पाकिस्तानी पुलिस में बहुत कम शिक्षित महिला अधिकारी हैं. ऐसे में रक्षा क्षेत्र में डीएसपी के रूप में तैनात मनीषा रोपेटा ने सिंध प्रांत में पुलिस बल की छवि में बदलाव लाने में काफी योगदान दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">मनीषा रोपेटा ने पाकिस्तानी अभिनेत्री निमरा खान के अपहरण की कोशिश के मामले को निपटाने में अहम भूमिका निभाई. निमरा ने कहा, ‘शुरुआत में मुझ पर भी उंगलियां उठीं और मीडिया और सोशल मीडिया पर कई लोगों ने मेरे अपहरण की कोशिश को छोटी-मोटी घटना बताया, लेकिन डीएसपी मनीषा रोपेटा ने मेरे मामले को संभाला जिससे मुझे शांत रहकर स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल.</p>
<p style="text-align: justify;">निमरा ने कहा कि एक शिक्षित महिला पुलिस अधिकारी से बात करने पर उन्हें एहसास हुआ कि सार्वजनिक रूप से इस घटना के बारे में बात करके उन्होंने सही कदम उठाया. मनीषा रोपेटा मानती हैं कि एक महिला पुलिस अधिकारी होना और वह भी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखना शुरू में उनके लिए एक चुनौती थी, लेकिन इससे उन्हें विभिन्न अपराधों की पीड़िताओं से बात करने और उनकी सहायता करने में भी मदद मिली. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने निमरा के मामले को लिया, तो मैं इस पीड़ादायक घटना के बाद उसके डर को महसूस कर सकती थी.'</p>
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