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पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि पेपर लीक में तो बाड़ ही खेत को खा रही है, तो फिर बचा कौन? ऐसे में इसकी तह तक पहुंच कर जो असली गुनहगार हैं उन्हें सजा दिलानी होगी।
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शिक्षक दिवस पर दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कटारिया ने कहा कि पेपर लीक जिम्मेदारों के इंवॉल्वमेंट के बिना नहीं हो सकता। कोचिंग सेंटर्स गड़बड़ी के सबसे बड़े केंद्र है। मैंने विधानसभा में भी सह मामला उठाया था, इसकी जांच हो।
अंग्रेजी मीडियम स्कूल को लेकर भी कहा कि टीचर भी दो लाइन अंग्रेजी नहीं बोल सकते, ऐसे अंग्रेजी स्कूलों का क्या फायदा।
कटारिया ने राजस्थान में पेपर लीक करने वालों के खिलाफ चल रही जांच और कई बड़े किरदारों को पकड़ने की तारीफ करते हुए कहा कि राजस्थान में पहली बार हुआ है कि जिन्होंने पेपर आउट किया उनको जेल में डाला गया है। यह अच्छा कदम है लेकिन हमें इस पूरे मामले में अंजाम तक पहुंचाना होगा।
मेरी बनाई ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं हो पाई, लागू होती तो स्तर अलग होता
कटारिया ने कहा- मैंने शिक्षा मंत्री रहते हुए ट्रांसफर पॉलिसी बनाई थी। मैंने जो ट्रांसफर पॉलिसी बनाई थी, वह लागू नहीं हो पाई। जिस स्कूल में टीचर्स का परीक्षा परिणाम 100% रहता था,उसको मनचाही जगह पर पोस्टिंग देने का प्रावधान मैंने किया था। इस तरह के प्रयोग से अच्छे रिजल्ट देने वाले टीचर्स को पहचान मिलती है, यह प्रावधान आगे जारी रहता तो शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान बहुत आगे होता।
कोचिंग सेंटर सबसे बड़ा गड़बड़ी का केंद्र, इनकी जांच हो
कोचिंग सेंटर को लेकर कटारिया ने कहा- ये जितने भी बड़े कोचिंग सेंटर हैं जिन्होंने पांच-छह मंजिल खड़े कर दिए है, वे बच्चों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के विज्ञापन देकर आकर्षित करते हैं। कोचिंग सेंटर सबसे बड़ा गड़बड़ी का सेंटर है। मैंने विधानसभा में भी इस बात को उठाया था। हमें इन पर भी नियंत्रण करने की दिशा में सोचना होगा। यह भाषणों से काम होने वाला नहीं है, इसके लिए ठोस प्रयास करने होंगे।
मेहनत करके परीक्षा पास करने वाले बच्चों के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए
कटारिया ने कहा- जिस तरह से ये बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे हैं। इस पर नियंत्रण करना होगा। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि भविष्य में इस तरह की अनियमितता नहीं हो, इसे रोकने के लिए ठोस प्रयास होने चाहिए। जिन बच्चों ने मेहनत करके परीक्षा पास की है उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए, ईमानदार बच्चे भी तो हैं उनकी तरफ भी ध्यान देना चाहिए।
राजस्थान में पहली बार पेपर आउट करने वालों को जेल में डाला गया, यह अच्छा कदम
कटारिया ने कहा- राजस्थान में पहली बार हुआ है कि जिन्होंने पेपर आउट किया उनको जेल में डाला गया है। यह अच्छा कदम है लेकिन हमें इस पूरे मामले में अंजाम तक पहुंचाना होगा। पेपर लीक में पहली कड़ी कौन था, जिसने इन सब की शुरुआत की उसको भी सजा मिलनी चाहिए। लोगों का परीक्षा प्रणालियों से और आरपीएससी से विश्वास कम हो रहा है, उस विश्वास को हमें लौटना होगा। एक बार चाहे कितना भी बड़ा व्यक्ति हो, जब तक हर दोषी तक नहीं पहुंच जाएगा तब तक लोगों का विश्वास बहाल नहीं होगा।
शिक्षा के स्तर को लेकर कटारिया ने कहा- शिक्षा को संस्कार से जोड़ने के लिए हमें उस तरह का वातावरण उपलब्ध करवाना होगा।
केवल अंग्रेजी मीडियम नाम देने से काम नहीं चलेगा, दो लाइन अंग्रेजी नहीं बोल सकते,ऐसे अंग्रेजी स्कूलों का फायदा क्या है?
राजस्थान में पिछली सरकार के अंग्रेजी स्कूल बंद करने के शिक्षा मंत्री के बयान पर कटारिया ने कहा कि अंग्रेजी स्कूलों का नाम देने से ही काम नहीं चलेगा। प्राइवेट में आप देखिए केवल अंग्रेजी मीडियम नाम लिख देते हैं, लेकिन वहां पढ़ाने वाले दो लाइन अंग्रेजी नहीं बोल सकते। ऐसे अंग्रेजी स्कूलों का फायदा क्या है?
यही बात सरकारी पर लागू होती है केवल अंग्रेजी स्कूल का नाम देकर स्कूल खोलने से कुछ नहीं होता। वहां पर शिक्षक भी अंग्रेजी के लगाने होंगे और उसी हिसाब से संसाधन उपलब्ध करवाने होंगे। अब आप बिना संसाधनों के बिना स्टाफ के केवल नाम के लिए अंग्रेजी स्कूल खोल देंगे तो उसका कोई औचित्य नहीं है।
शिक्षक के तौर पर किया काम आज भी याद आता है
गुलाबचंद कटारिया ने कहा- मैंने शिक्षक के तौर पर शुरुआत की थी, आज भी पुराने विद्यार्थियों से संपर्क है। पिछले दिनों अपने पुराने विद्यार्थियों के साथ एक सम्मेलन किया था, पुराने विद्यार्थियों से मिलना मेरे लिए बहुत ही भावुक पल था। मैंने जो काम किया वह आज भी याद आ जाता है। वह एक तरह का पारिवारिक माहौल था।
फोटो 2 महीने पहले झाड़ोल का है। जहां गुलाबचंद कटारिया की ओर से पुराने स्टाफ और स्टूडेंट के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था।
भामाशाह सम्मान समारोह आयोजित करने की शुरुआत की
कटारिया ने कहा- मैं जब शिक्षा मंत्री बना तो सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के प्रयास किए। भामाशाह सम्मान समारोह आयोजित करने की शुरुआत की। मैंने उस वक्त भामाशाहों की नंबरिंग का सिस्टम बनाया। करोड़ों रुपए आते थे और इससे स्कूलों की दशा सुधारने का काम किया।
सरकारी स्कूलों का स्तर अंग्रेजी स्कूलों के बराबर करने के लिए भी प्रयास किए। पाठ्य पुस्तकों का डिजाइन और सिलेबस इस तरह से किया जिससे बच्चे आसानी से समझ-सीख सकें। हमने जितने भी टैलेंटेड बच्चे थे उनके टैलेंट को और बेहतर कैसे हो सके इसके लिए प्रयास किए। जो बच्चे कमजोर थे उन्हें पढ़ाई के बेहतर लेवल पर लाने के प्रयास किए।
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