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करनाल से चार विधानसभाओं के भाजपा प्रत्याशी।
मुख्यमंत्री नायब सैनी इस बार करनाल की बजाय लाडवा से चुनाव लड़ेंगे, जिससे करनाल विधानसभा में बीजेपी ने चौंकाने वाला फैसला लिया है। बीजेपी ने करनाल से जगमोहन आनंद को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा लगातार तीसरी बार नीलोखेड़ी से पूर्व विधायक भगवानदास कबीर
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करनाल से सीट से सीएम मनोहर लाल के बाद पार्टी ने इस बार भी विधानसभा चुनाव में पंजाबी चेहरे को प्राथमिकता दी और जगमोहन आनंद को चुना, जो कि पूर्व सीएम मनोहर लाल और मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
करनाल विधानसभा: जगमोहन आनंद को पहली बार टिकट
जगमोहन आनंद करनाल बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के मीडिया को-ऑर्डिनेटर रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल और नायब सैनी का करीबी माना जाता है। जगमोहन ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन उन्हें पहली बार करनाल से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है। इस निर्णय को पार्टी का चौंकाने वाला कदम माना जा रहा है।
टिकट मिलने के कारण
जगमोहन आनंद को टिकट मिलने का प्रमुख कारण यह है कि वह पंजाबी समुदाय से है। इस समुदाय की इस सीट पर सबसे ज्यादा 63 हजार से ज्यादा वोट है। इसके साथ ही वह पूर्व सीएम मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सैनी के करीबी है। उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और मनोहर लाल के समर्थन से उन्हें यह अवसर मिला।
टिकट कटने के कारण
इस सीट पर सबसे प्रबल दावेदार मेयर रेणू बाला गुप्ता को मना जा रहा था। राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्या आर.पी सैनी की मांने तो रेणू बाला गुप्ता का टिकट इसलिए कटा क्योंकि वह बनिया समाज से आती है और इस सीट पर पंजाबी समाज का दबदबा है। इसलिए उनकी टिकट काटकर इस बार भी करनाल में पंजाबी चेहरे को प्राथमिकता दी गई है।
घरौंडा विधानसभा: हरविंद्र कल्याण को तीसरी बार टिकट
हरविंद्र कल्याण ने 2009 में बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। 2014 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन की और घरौंडा से चुनाव लड़ा। बीजेपी के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की। फिर 2019 में भी उन्होंने चुनाव जीता। हरविंद्र कल्याण हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष देवी सिंह कल्याण के बेटे हैं और उनका राजनीतिक परिवार हरियाणा की राजनीति में प्रभावशाली रहा है।
टिकट मिलने के कारण
हरविंद्र कल्याण की लगातार जीत, जनता के बीच उनकी सक्रियता, और उनकी राजनीतिक पकड़ की वजह से उन्हें तीसरी बार टिकट मिली। पार्टी ने उनकी अनुभव और लगातार सक्रियता को प्राथमिकता दी।
टिकट कटने के कारण
इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता एडवोकेट वेदपाल और युवा नेता विनय संधू की प्रबल दावेदारी मानी जा रही थी। पार्टी ने इन्हें इसलिए इन दोनों पर दाव नहीं खेला क्योंकि हरविंद्र कल्याण पिछले दो बार से जीतते आ रहे हैं और उनकी राजनीतिक सक्रियता और पकड़ इन दोनों नेताओं से ज्यादा मजबूत थी। पार्टी ने कल्याण को प्राथमिकता देकर उनके अनुभव और लगातार जीत के रिकॉर्ड के आधार पर उन्हें तीसरी बार मौका दिया।
इंद्री विधानसभा: रामकुमार कश्यप को लगातार दूसरी बार टिकट
रामकुमार कश्यप का राजनीतिक करियर कुरुक्षेत्र के जिला सांख्यिकी विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में शुरू हुआ। चौटाला परिवार के करीबी होने के कारण उन्हें 2004 में हरियाणा लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया गया। 2014 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और 2019 में कश्यप ने इनेलो छोड़कर बीजेपी जॉइन की। उन्होंने इंद्री से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
टिकट मिलने के कारण
रामकुमार कश्यप को जातीय समीकरण और पिछली जीत के आधार पर लगातार दूसरी बार टिकट मिली है। उनकी राजनीतिक सक्रियता और पिछले चुनावों में प्रदर्शन ने बीजेपी को उन पर दोबारा विश्वास जताने के लिए प्रेरित किया।
टिकट कटने के कारण
इस बार इस सीट पर पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज व भाजपा के युवा नेता सुरेंद्र उड़ाना को प्रभल दावेदारी माना जा रहा था । इस सीट पर कांबोज व कश्यप समाज का दबदबा है। राजनीति विशेषज्ञों की माने तो कर्णदेव कांबोज का टिकट इसलिए कटा क्योंकि पिछली बार रादौर से चुनाव हारने के बाद वह न तो रादौर और न ही इंद्री में सक्रिय रहे। वहीं, सुरेंद्र उड़ाना पर दांव इस लिए नहीं खेला क्योंकि इस सीट पर कश्यप व कांबोज समाज का दबदबा है।
नीलोखेड़ी विधानसभा: भगवानदास कबीरपंथी को तीसरी बार टिकट
भगवानदास कबीरपंथी ने 2009 में नीलोखेड़ी से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 में उन्होंने बीजेपी जॉइन की और नीलोखेड़ी से चुनाव लड़ा, जहां उन्हें जीत हासिल हुई। हालांकि, 2019 में उन्हें आजाद उम्मीदवार धर्मपाल गोंदर से हार मिली। बावजूद इसके, बीजेपी ने इस बार फिर से भगवानदास कबीरपंथी पर भरोसा जताया और उन्हें तीसरी बार टिकट दी है।
टिकट मिलने के कारण
भगवानदास कबीरपंथी की जनता के बीच सक्रियता, उनका राजनीतिक अनुभव और सीएम से नजदीकी ने उन्हें तीसरी बार टिकट दिलाई। पार्टी ने उनके पिछले कार्यों और अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें फिर से मौका दिया।
टिकट कटने के कारण
भगवान दास कबीरपंथी के साथ इस सीट पर मीना चौहान भी प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। राजनीतिक विशेषज्ञ एडवोकेट संजीव मंगलौरा की मानें तो इस बार मीना चौहान का पार्टी ने टिकट इसलिए काटा क्योंकि पार्टी ने भगवानदास कबीरपंथी को उनकी राजनीतिक सक्रियता और पुराने अनुभव के आधार पर तीसरी बार मौका देना उचित समझा।
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