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सागर से अलग कर बीना और खुरई को नया जिला बनाने के लिए दोनों विधानसभाओं के नेताओं के बीच अंदरखाने जंग छिड़ी है।
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छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव को जिला बनाने को लेकर छिंदवाड़ा कलेक्टर से अभिमत मांगा गया है। दो दिन पहले सीएम हाउस में हुई सागर जिले की कोर कमेटी की बैठक के बाद सागर जिले से अलग कर बीना या खुरई को जिला बनाने का प्रस्ताव फिलहाल टाल दिया गया है।
जिलों के गठन को लेकर बीजेपी विधायकों में चल रही खींचतान के बीच सागर के भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने बड़ा बयान दिया है। शैलेंद्र जैन ने कहा कि जिलों के गठन में पुराने समय में कुछ विसंगतियां रही हैं। अब सरकार संभल कर काम करना चाहती है।
पहले जानिए, सागर के विधायक ने क्या कहा?
मध्यप्रदेश में ताबड़तोड़ जिले बनने पर शैलेंद्र जैन ने कहा- कुछ विसंगतियां ध्यान में आई है, इसलिए इस विषय को बहुत संवेदनशील मानते हुए अब सरकार जरा संभल कर काम करना चाहती है। कम से कम नए जिले के गठन को लेकर पुराने समय में जितनी भी विसंगतियां हुई हैं। डेढ़ विधान सभा का क्षेत्र भी जिले के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
मैं समझता हूं कि इसको थोड़ा बेहतर करने और युक्ति युक्ति-करण करने की आवश्यकता है। और अभी जब ये पुनर्गठन होना ही है और सीमाओं का पुनर्निर्धारण होना है तो इसमें सारी विसंगतियां दूर हो जाएंगी। जितने राजनीतिक उद्देश्य है या अन्य चीजें हैं वह निश्चित रूप से पूर्ण हो जाएंगी। जहां आवश्यकता होगी, वहां बनाए जाएंगे।
बीना और खुरई को जिला बनाने को लेकर मची खींचतान पर सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा- जिला बनाने की मांग चाहे वह खुरई की हो, अथवा बीना की हो। ये मांगें नई नहीं है पुरानी हैं। और राजनैतिक रूप से जो सक्षम है और राजनैतिक रुप से जो सजग लोग हैं वो ऐसे कदम उठाते रहे हैं। और सरकार के मुखिया ने जिला बनाने का आश्वासन भी दिया था।
अभी जिलों का परिसीमन होना है, युक्ति-युक्तिकरण भी होना बाकी है। मैं समझता हूं कि बहुत जल्दी नए जिले का, कुछ पुराने जिलों का पुनर्गठन का काम सरकार हाथ में लेगी। तो मुझे नहीं लगता कि बहुत जल्दबाजी करने की आवश्यकता है। थोड़ा सा धैर्य रखेंगे तो परिणाम अच्छा आएगा।
सागर जिले से अलग कर बीना और खुरई को जिला बनाने के लिए दोनों कस्बों में आंदोलन हो रहे हैं।
प्रशासनिक सीमाएं तय होंगी
मप्र में जल्द ही जिला, संभाग, तहसील और ब्लॉक जैसी प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं का भौगोलिक आधार पर नए सिरे से पुनर्गठन कराने जा रही है। अक्टूबर 2024 के अंत तक इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए गठित प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग में नियुक्तियों को लेकर कवायद तेज हो गई है।
पूर्व में गठित प्रशासनिक इकाइयों की सीमा निर्धारण में खामी है। कई टोले, मजरे व पंचायतों के लोगों को जिला, संभाग, तहसील, विकासखंड जैसे मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है। जबकि ऐसे क्षेत्रों से सटे हुए दूसरे जिले, संभाग, विकासखंड व तहसील मुख्यालय नजदीक हैं।
प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग में होगी नियुक्तियां
छह महीने पहले मप्र में प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग बनाने का फैसला हुआ था। लेकिन, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इस आयोग में नियुक्तियां नहीं हो पाईं। अब एक बार फिर से इस आयोग में नियुक्तियों की तैयारी तेज हो गई है। यह आयोग प्रदेश में नए संभाग, जिलों, सब डिवीजन, तहसील और जनपद व विकासखंड बनाए जाने लेकर मध्य प्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया था। यह आयोग एक साल के लिए काम करेगा और जिलों का दौरा कर सुझाव लेने के बाद शासन को रिपोर्ट देगा।
तीन सदस्यों की होगी नियुक्ति
इसके लिए तीन सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अध्यक्ष को प्रमुख सचिव और प्रशासनिक अधिकारी को सचिव स्तर का वेतनमान व महंगाई भत्ते दिए जाएंगे। आयोग के प्रशासकीय विभाग राजस्व विभाग होगा और बजट कंट्रोलिंग अधिकारी प्रमुख राजस्व आयुक्त होंगे।
27 फरवरी को कैबिनेट में हुआ था फैसला
राजस्व विभाग द्वारा इस आयोग के गठन का आदेश मोहन यादव कैबिनेट द्वारा 27 फरवरी को लिए गए फैसले के आधार पर किया गया था। प्रदेश में संभाग, जिला, सब डिवीजन, तहसील और जनपद व विकास खंडों के परिसीमन (सृजन और सीमाओं में परिवर्तन) तथा युक्ति-युक्तिकरण को लेकर राज्य शासन ने मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग गठित करने का फैसला किया है।
उप नेता प्रतिपक्ष बोले- ऐसे तो हर विधायक कहेगा मेरी विधानसभा को जिला बनाओ
खुरई, बीना को जिला बनाने को लेकर मची खींचतान पर उप नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा- जिलों की जो राजनीति है ये विधायकों के कहने के अनुसार नहीं होनी चाहिए। कभी प्रदेश बनते हैं जिले बनते हैं इसको वहां की जनता की मांग के अनुसार होना चाहिए। विधायक अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं ये गलत है।
मुझे लगता है इसकी कोई नियम प्रक्रिया बनानी चाहिए। कि किन कारणों से जिले को अलग किया है। ऐसे तो हर विधानसभा को जिला बनाने की मांग होने लगेगी। क्या इतने जिले चल सकते हैं?
ऐसा नहीं होना चाहिए कल कोई भी नेता आकर खड़ा हो जाए और कहे कि मेरी विधानसभा या क्षेत्र को जिला बना दें। ये कोई मजाक है क्या? वहां जिले की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था बनती है। ऐसे किसी नेता ने मांगा तो ऐसे थोड़े विचार नहीं किया जाना चाहिए।
MP के इन कस्बों को जिला बनाने की हो रही मांग
बीना (सागर), चाचौड़ा (गुना), खुरई (सागर), जुन्नारदेव (छिंदवाड़ा), लवकुशनगर (छतरपुर), मनावर (धार)
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