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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत मानकर चल रही है और उसे लगता है कि वह 10 साल के वनवास को खत्म कर सत्ता में लौट आएगी। फिर भी राहुल गांधी की सलाह पर हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर चर्चा तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी ने 10 विधानसभा सीटों पर दावा ठोका है तो वहीं कांग्रेस भी 6 से 7 सीटें देने पर सहमत हो सकती है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि कांग्रेस जब अपने दम पर ही राज्य में जीतने की स्थिति में है तो फिर उसे आम आदमी आदमी पार्टी के सहारे की जरूरत क्यों है, जिसे लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र की सीट कांग्रेस ने दी भी थी, लेकिन वह हार गई थी।
इसके जवाब में कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी जीत की गारंटी चाहती है। ऐसे में वह आम आदमी पार्टी के सभी 90 सीटों पर उतरने से वोटों बंटवारे को लेकर चिंतित है। अब यदि आम आदमी पार्टी को साथ ले लिया गया तो फिर भाजपा के खिलाफ पड़ने वाला वोट हर सीट पर एकजुट रहेगा। कांग्रेस को लगता है कि पहले ही दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी, इनेलो, आजाद समाज पार्टी और बसपा जैसे दलों के चलते वोट पहले ही कट सकता है। ऐसे में आम आदमी पार्टी भी अलग से चुनाव लड़ी तो वोटों का बंटवारा भारी भी पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस संभलकर चलना चाहती है और किसी भी तरह के अतिआत्मविश्वास के खतरे से बचने की कोशिश है।
राहुल गांधी ने सोमवार को कांग्रेस की चुनाव समिति की मीटिंग में हरियाणा के नेताओं को यह सुझाव दिया था। खबर थी कि हरियाणा कांग्रेस नेता सीट बंटवारा नहीं चाहते हैं, लेकिन राहुल गांधी की सलाह के बाद उस पर मंथन तेज है। हुड्डा खेमा तो आम आदमी पार्टी को 4 सीटें ही देना चाहता है, लेकिन अंत में 7 पर सहमति बन सकती है। वहीं शुरुआत में 20 सीटों की डिमांड करने वाली आम आदमी पार्टी ने भी 10 सीटों की मांग अब रखी है। इस पर चर्चा के लिए जल्दी ही कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ आप नेताओं की मीटिंग होगी।
दरअसल लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस ने INDIA अलायंस को साथ लेकर चलने का संदेश दिया था। कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के लिए कई राज्यों में काफी सीटें छोड़ी थीं और उसका कहना था कि भाजपा के खिलाफ अलायंस के लिए ऐसा जरूरी है। अब हरियाणा से भी ऐसा ही संकेत कांग्रेस दे रही है। इस तरह राहुल गांधी और उनकी पार्टी चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में बनी विपक्षी एकता बनी रहे। वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ी सफलता है, जिसे बिना संघर्ष के ही कुछ सीटों पर जीत भी मिल सकती है।
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