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Why People Liking 11 Year Old Far Right Political Party: जर्मनी के एक राज्य थुरिंगिया में हुए चुनाव में एक नया चलन देखने को मिला है. रविवार को आए परिणामों में अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी राज्य चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली धुर-दक्षिणपंथी पार्टी बन गई. एएफडी का नेतृत्व उसके सबसे कट्टर नेताओं में से एक ब्योर्न होके कर रहे थे. थुरिंगिया के पड़ोसी सैक्सोनी में एएफडी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के ठीक पीछे रह गया. सीडीयू राष्ट्रीय राजनीति में मुख्य विपक्षी पार्टी है. मतदाताओं ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल तीन दलों को एक तरह से नकार दिया. तीनों दलों ने इस चुनाव में 15 फीसदी से कम वोट प्राप्त किए. ये तीनों दल हैं, ओलाफ स्कोल्ज़ का एसपीडी, ग्रीन्स और एफडीपी.
अपने दम पर बहुमत नहीं
इस चुनाव की सबसे दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय राजनीति में एएफडी सिर्फ 11 साल पुरानी पार्टी है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार हुआ है कि जब जर्मनी की किसी प्रदेश विधानसभा में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. हालांकि इस बड़ी सफलता के बाद भी एएफडी के सरकार बनाने की संभावना नहीं लगती. क्योंकि एक तो उसे अपने दम पर बहुमत मिलता नहीं दिख रहा. दूसरा, बाकी दलों ने उसके साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. हालांकि, एएफडी के पास सबसे ज्यादा सीटें होने से विधानसभा में वह ताकतवर भूमिका में होगी.
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लोकप्रियता बढ़ने की वजह
एएफडी ने पिछले साल की शुरुआत से ही जनमत सर्वेक्षणों में धूम मचाना शुरू कर दिया था. पहले तो ऐसा लग रहा था कि यह पार्टी एक तबके को तो लुभाने में सफल हो सकती है. लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुए. आज एएफडी देश में दूसरा सबसे लोकप्रिय ब्लॉक बन गई है. इसने हाल के क्षेत्रीय चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. इसकी लोकप्रियता में इजाफा होने की बड़ी वजह अन्य राजनीतिक दलों में आपसी झगड़े, मुद्रास्फीति और कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए राष्ट्रीय सरकार के प्रति गहरा असंतोष है. यही नहीं, आप्रवासन विरोधी भावना और यूक्रेन के लिए जर्मन सैन्य सहायता के प्रति संदेह उन कारकों में से हैं जिन्होंने इस लोकलुभावन पार्टी के समर्थन में योगदान दिया.
जानें क्या कहा ग्रीन्स के नेता ने
इसका विरोध करने वाले इस बात से भयभीत हैं कि 2025 में संघीय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा? ग्रीन्स के एक नेता ओमिद नूरीपुर ने कहा, “खुले तौर पर एक दक्षिणपंथी चरमपंथी पार्टी 1949 के बाद पहली बार किसी राज्य की विधानसभा में सबसे मजबूत ताकत बन गई है. इससे काफी लोगों को गहरी चिंता और भय महसूस हो रहा है.” अन्य दलों का कहना है कि वे गठबंधन में शामिल होकर एएफडी को सत्ता में नहीं लाएंगे. फिर भी, इसकी ताकत के कारण नई राज्य सरकारें बनाना बेहद मुश्किल हो जाएगा, जिससे उन्हें नए गठबंधन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
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स्कोल्ज़ सरकार से नाराज हैं लोग
डॉएचे वैले की एक रिपोर्ट के अनुसार सैक्सोनी और थुरिंजिया, दोनों ही राज्यों में इन परिणामों को साफ तौर पर चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ नाराजगी की तरह देखा जा रहा है. सितंबर 2025 में देश का अगला संसदीय चुनाव है. पहले से ही बजट जैसे अहम पक्षों पर संघर्ष कर रही गठबंधन सरकार के लिए ये एक साल खासा मुश्किल हो सकता है. स्कोल्ज़ सरकार के आगे धुर-दक्षिणपंथ की बढ़ती स्वीकार्यता और अपने घटते जनाधार के बीच राह निकालने की चुनौती होगी. माइग्रेशन पॉलिसी, यूरोपीय एकजुटता, यूक्रेन युद्ध जैसे राष्ट्रीय नीतियों से जुड़े पक्षों ने भी विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित किया है.
राष्ट्रीय चुनाव में दिखेगा असर
22 सितंबर को पूर्वी क्षेत्र के एक और राज्य ब्रैंडेनबर्ग में चुनाव होने हैं. सैक्सोनी और थुरिंजिया के विपरीत ब्रैंडेनबर्ग में वर्तमान में स्कोल्ज़ के केंद्र-वाम सोशल डेमोक्रेट्स का नेतृत्व है. अगर वहां भी परिणाम उनके अनुकूल नहीं रहते हैं तो यह उनकी शर्मिंदगी को बढ़ाएगा. स्कोल्ज़ ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि रविवार के नतीजे कड़वे हैं और हमारा देश इस तरह की एएफडी की जीत का आदी नहीं हो सकता और न ही उसे इसकी आदत डालनी चाहिए.” उन्होंने कहा, “सभी लोकतांत्रिक पार्टियों से अब दक्षिणपंथी चरमपंथियों के बिना स्थिर सरकार बनाने का आह्वान किया गया है,” लेकिन यह साफ है कि एएफडी की जीत ने स्कोल्ज़ की समस्या बढ़ा दी है. क्योंकि अगले साल जून में संसद चुनाव होंगे और यह स्पष्ट नहीं है कि स्कोल्ज़ गठबंधन के लिए जर्मनी के अगले राष्ट्रीय चुनाव में वापसी करने का कोई नुस्खा है.
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FIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 14:26 IST
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