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राजस्थान में इन दिनों दो काम पूरी रफ्तार से हो रहे हैं। पहला, पुरानी सरकार की भर्तियों में भ्रष्टाचार के खुलासे… और दूसरा, इन भर्तियों में भ्रष्टाचार के भव्य नायकों की गिरफ्तारियां। इन खुलासों और गिरफ्तारियों के बीच राहत की बात क्या है? राहत यह है कि
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दरअसल, जांच एजेंसी एसओजी का अब तक का सफर यह है कि वह आरपीए में घुसकर लीक पेपर से थानेदार बने 42 ट्रेनी सब-इंस्पेक्टरों सहित 70 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि लंबी छलांग यह है कि आरपीएससी का पूर्व सदस्य भी अब एसओजी की गिरफ्त में है। बहुत कम लोगों का ध्यान इस बात पर है कि एसओजी पेपर लीक का यह नेटवर्क तोड़ कैसे रही है? सरकार और सिस्टम के सामने चुनौती क्या है? …और सबसे बड़ा सवाल यह है कि एसआई भर्ती का भविष्य क्या होगा? एसओजी के कप्तान वीके सिंह से भास्कर ने पूछे वो सभी सवाल, जिनका जवाब राजस्थान का हर युवा जानना चाहता है…
सवाल- एसओजी 42 ट्रेनी एसआई सहित 70 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। RPSC के 2 पूर्व सदस्य भी आपकी गिरफ्त में हैं, भर्ती अभी तक रद्द क्यों नहीं?
जवाब-हमारा काम अनुसंधान करना है। भर्ती रद्द करने या नहीं करने के फैसले का अधिकार सरकार के पास है। इस प्रकरण में तीन चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी हैं। आने वाले समय में इस भर्ती से संबंधित कई खुलासे और गिरफ्तारियां संभव हैं। इस भर्ती में बड़े स्तर पर गलत साधनों का प्रयोग हुआ है। राजस्थान के सभी नकल माफिया गिरोहों ने इस परीक्षा में पेपर लीक कर और डमी कैंडिडेट के सहारे बड़े स्तर पर गड़बड़ियां करवाई हैं।
सवाल- अभी कितने ट्रेनी सब इंस्पेक्टर और गिरफ्तार होने वाले हैं?
जवाब- ट्रेनी सब इंस्पेक्टरों की गिरफ्तारी की संख्या बड़ी हो सकती है। इसके बारे में तय तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। अभी मैं कोई संख्या नहीं बता सकता हूं। जांच के बाद ही तय होता है कि किसे गिरफ्तार करना है। यह प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी।
सवाल- डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का दावा है कि 2018 और 2022 की आरएएस परीक्षा में भी भ्रष्टाचार हुआ है, क्या इनकी भी जांच होगी?
जवाब- उन्होंने जो शुरुआती तथ्य रखे थे, उनके आधार पर पीई दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल ये प्रारंभिक स्थिति में है। अनुसंधान हुए बिना इस संबंध में किसी भी तरह का निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है।
सवाल- सरकार यह भर्ती रद्द करती है, तो इसका क्या प्रभाव हो सकता है? क्या कोई तरीका है जिससे योग्य उम्मीदवारों को दिक्कत ना आए?
जवाब- ऐसे बड़े फैसले राज्य सरकार के स्तर पर होंगे। लेकिन मेरा निजी मत है कि ऐसे विकल्प तलाशे जाने चाहिए, जिनसे मेरिट में आए योग्य उम्मीदवारों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं हो। साथ ही, गड़बड़ी या अनुचित साधनों के प्रयोग से चयनित होने वाले अभ्यर्थी सिस्टम से बाहर हो जाएं। ऐसा कोई रास्ता निकाला जा सकता है।
वीके सिंह ने फर्जी डिग्रियों से लेकर डमी कैंडिडेट तक सभी मुद्दों पर बात की।
सवाल- क्या एसआई भर्ती में किसी सियासी चेहरे की भी भूमिका है? क्या जांच के दौरान किसी तरह का सियासी दबाव है?
जवाब- अभी तक जो जांच हुई है, उसमें किसी भी सियासी व्यक्ति के शामिल होने का संकेत नहीं मिला है। आगे अनुसंधान किस दिशा में जाएगा, इसके बारे में किसी भी तरह का कयास नहीं लगा सकते हैं। जांच के दौरान कड़ी से कड़ी जोड़ने के बाद ही ठोस नतीजे पर पहुंचना संभव होगा।
सवाल- ईओ-आरओ भर्ती में एसीबी ने क्लीन चिट दी है। क्या एसआईटी इसकी जांच कर रही है?
जवाब- एसीबी की जांच एक अलग तरह की शिकायत से जुड़ी हुई थी। हमें गड़बड़ी से जुड़ी कई अन्य शिकायतें मिली हैं। इनकी जांच जारी है।
सवाल- फर्जी डिग्रियों का नेटवर्क राजस्थान में कितना बड़ा है?
जवाब- यह खतरनाक नेटवर्क है। जिन अभ्यर्थियों ने संबंधित परीक्षा से जुड़ी एकेडमिक पढ़ाई ही नहीं की, उनका चयन कैसे हो सकता है? इसका मतलब है कि या तो उन्होंने पेपर आउट कर के तैयारी की है। या उनके बदले किसी और ने पेपर दिया है। ऐसे लोग सैंकड़ों की संख्या में होंगे। ये लोग सरकार के लिए बोझ हैं, जो विभागों की दक्षता को चौपट कर देंगे। 2018 की एनटीटी भर्ती में फर्जी डिग्रीधारकों के खिलाफ अभियान जारी है। विभाग अपने स्तर पर जांचे तो गड़बड़ लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि वो छुप नहीं सकती है।
सवाल- जितनी बड़ी बीमारी पेपरलीक है, उतनी ही डमी कैंडिडेट, एसआईटी जांच क्या कहती है?
जवाब- ये अहम सवाल है। एसआईटी के गठन से पहले इस समस्या का आकार किसी को पता नहीं था। जांच से स्पष्ट हो गया है कि डमी कैंडिडेट्स पेपर लीक से भी बड़ी समस्या है। खासतौर पर आरक्षित वर्ग या टीएसपी एरिया की सीटें हैं, वहां इसकी आशंका बहुत ज्यादा है। आने वाले वर्षों में पिछली भर्तियों में डमी कैंडिडेट्स के संदर्भ में जांच जारी रहेगी।
सवाल- एसओजी आरपीएससी के अंदर तक पहुंच गई है, अब आगे जांच का दायरा कितना बड़ा होने वाला है?
जवाब- लेकिन इस भर्ती में धांधली का कोई इकलौता चैनल नहीं है। आशंका है कि अलग-अलग लोगों ने किसी गैंग के जरिए या अपने स्तर पर पेपर लीक किया है, जिसकी वजह से कई गलत लोगों का चयन हो गया हो। आने वाले समय में और भी कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
सवाल- संदिग्ध ट्रेनी एसआई अब पुलिस का हिस्सा हैं। वे आपकी कार्यशैली को समझने लगे होंगे। आप लोग इस ब्रेन से कैसे लड़ पा रहे हैं?
जवाब- एसआईटी की टीम ने कोई भी कार्रवाई गहन रिसर्च के बाद ही की है। हमारे पास कई अनुभवी अनुसंधान अधिकारी हैं। इनके अनुभव और कौशल की मदद से हम शातिर से शातिर कैंडिडेट से भी सच उगलवा लेते हैं। आरपीए में ट्रेनी एसआई से फिर से वही पेपर हल करवाना हमारी रणनीति का बेंचमार्क था।
सवाल-एसआईटी पीटीआई भर्ती की भी जांच कर रही है। इसमें गड़बड़ी का स्तर क्या था?
जवाब- पीटीआई भर्ती की जांच काफी एडवांस्ड लेवल पर पहुंच चुकी है। फर्जी डिग्री-सर्टिफिकेट देने वाली यूनिवर्सिटी और एजेंसी के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं। नतीजतन चयनित होने के बावजूद कई अभ्यर्थी डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन के लिए ही नहीं आ रहे हैं।
सवाल- सीएम ने कहा था कि बड़े चेहरे सामने आने बाकी हैं… तो आगे और कितने बड़े चेहरे सामने आने हैं?
जवाब- अभी तक जांच में आरपीएससी के भूतपूर्व सदस्य से बड़ा चेहरा सामने नहीं आया है। शुरुआत से ही रायका की भूमिका संदिग्ध थी। धीरे-धीरे कड़ी जुड़ती गई और हमारा अनुमान सही साबित हुआ। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि अब अनुसंधान किस दिशा में आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे सबूत मिलते जाएंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई होगी।
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