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इंदौर के सोहम पटवर्धन इन दिनों सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्हें अंडर 19 इंडिया टीम का कैप्टन बनाया गया है। सोहन के जुनून को देखते हुए पेरेंट्स ने उन्हें 6 साल की उम्र से क्लब में प्रैक्टिस के लिए भेजना शुरू कर दिया था। सोहम पहले राइट हैंड से बैटि
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बाद में पिता ने ही सोहम को दोनों हाथ से बॉलिंग डालने के लिए तैयार किया। धीरे-धीरे सोहम ने दोनों हाथों से बॉलिंग करके सभी को चौंका दिया। उन्हें कम्प्लीट क्रिकेटर बनना है। टेस्ट, वनडे सहित सभी फॉर्मेट में खेलना चाहते हैं। 300 रन बनाने के बाद भी घर आने पर उन्हें पिता की डांट पड़ी थी।
सोहम पटवर्धन का गली क्रिकेट से इंडिया टीम (अंडर 19) के कैप्टन बनने तक का सफर पिता की जुबानी…
सोहम को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति लगाव था। घर में कई खिलौने होने के बावजूद उसे बैट बॉल से खेलना अधिक पसंद था। -निखिल पटवर्धन, सोहम के पिता
सोहम ने डेढ़ साल की उम्र में थाम लिया था बल्ला
सोहम के पिता निखिल पटवर्धन बताते हैं, ‘मेरे पिता (सोहम के दादाजी) क्रिकेटर रहे। मैं खुद क्रिकेटर रहा। सोहम की मां रिचा टेबल टेनिस की नेशनल प्लेयर रही। घर में स्पोर्ट्स का माहौल शुरू से रहा। 17 सितंबर 2005 को इंदौर में सोहम का जन्म हुआ। एक-डेढ़ साल का था तब सोहम को प्लास्टिक के बैट-बॉल लाकर दिए थे।
उसने टेबल टेनिस भी खेला। फुटबॉल का भी शौक है लेकिन बचपन में ही उसके खेलने के तरीके और लर्निंग से लगा कि क्रिकेट में ज्यादा इंटरेस्ट है। क्रिकेट से शुरू से ही कनेक्ट हो गया था।
पहले वो राइटी (राइट हैंड बेट्समैन) था। मुझे लेफ्ट हैंड बेट्समैन पसंद हैं। इसलिए बेटे (सोहम) को लेफ्ट हैंड बैट्समैन बनने पर जोर दिया। ये चीज मैंने उस पर थोपी है। उसे उल्टे हाथ से बल्ला थाम खेलने के लिए कहा। छोटा था तो बार-बार राइट हैंड से बैट पकड़ बैटिंग करने लगता। फिर उसे टोकते तो लेफ्ट हैंड से बैट पकड़ता।
2-3 साल की उम्र तक उसने सब अच्छे से पिक कर लिया। क्रिकेटर बनने के अलावा और कोई दूसरा विचार नहीं आया। उसे भी जुनून रहा।’
6 साल की उम्र में क्रिकेट क्लब में डाला
निखिल कहते हैं, ‘6 साल की उम्र में सोहम को संजय जगदाले सर के CCI (क्रिकेट क्लब ऑफ इंदौर) में डाला था। तब चोइथराम स्कूल में पढ़ता था। स्कूल से आने के बाद दादाजी सोहम को क्लब ले जाते थे। दो घंटे की प्रैक्टिस होती थी। अंधेरा हो जाता था। हमें एहसास हुआ कि अगर प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना है तो इतनी प्रैक्टिस काफी नहीं है।
फिर स्कूल चेंज करने का तय किया और न्यू दिगंबर पब्लिक स्कूल में डाल दिया। वहां क्रिकेट एकेडमी थी। प्रैक्टिस के लिए ज्यादा टाइम मिलने लग गया। सुबह प्रैक्टिस फिर स्कूल, स्कूल के बाद फिर प्रैक्टिस करता। दस साल की उम्र तक वहीं स्कूल में ही प्रैक्टिस की।
फिर क्रिकेट क्लब भी चेंज करवाया। तब देवाशीष निलोसे क्लब सेटअप कर रहे थे। सोचा नए क्लब में मौके ज्यादा मिलेंगे। तब तक लोगों को ये मालूम होने लगा था सोहम ठीक खेलता है। क्रिकेट का सेंस है।’
पिता निखिल पटवर्धन, मां रिचा और छोटी बहन के साथ सोहम पटवर्धन।
राइट आर्म (सीधे हाथ) से बॉलिंग करता था…उल्टे हाथ में थमा दी गेंद
सोहम के पिता कहते हैं, ‘क्रिकेट में लगातार रोज कुछ न कुछ नया हो रहा है। मुझे विचार आया कि ये (सोहम) दोनों हाथ से बॉलिंग करे तो। तब एक-दो प्लेयर श्रीलंका के दोनों हाथ से बॉलिंग करते थे। सोहम 8-9 साल का था। मैंने कहा पहले उल्टे हाथ से थ्रो फेंक कर देखो। 5-7 दिन बाद बोला कि पापा उल्टे हाथ से थ्रो नहीं हो रहा है। फिर बॉलिंग एक्शन में थ्रो करने को कहा। फिर बॉलिंग करके देखा तो होने लगी।
इस तरह उल्टे हाथ से बॉलिंग की प्रैक्टिस शुरू की। उसे कहा कि अन्य प्लेयर को 4 घंटे लगते हैं। आपको 5 घंटे प्रैक्टिस करना पड़ेगी। लेकिन ये वैराइटी है। उसने पिकअप भी कर लिया। इंडिया टीम में तो कोई ऐसा प्लेयर नहीं खेला है, जो दोनों हाथ से बॉलिंग कर सके। डोमेस्टिक में जरूर विदर्भ टीम का प्लेयर अक्षय कार्णेवार दोनों हाथ से बॉलिंग करता है।
एक बार क्रिकेटर नरेंद्र हिरवानी सर से पूछा था कि सोहम को दोनों हाथ से बॉलिंग की प्रैक्टिस कंटीन्यू करवाएं या नहीं। वे बोले कि बिल्कुल किसी की मत सुनना। बच्चा दोनों हाथ से बॉल डाल रहा है। मतलब दिमाग के दोनों पार्ट काम कर रहे हैं। कब कौन सी चीज क्लिक हो जाए, नहीं पता। जितने ज्यादा ऑप्शन, सक्सेस के चांस भी ज्यादा।
हरभजन सिंह ने कहा था- ये तो खुद ऑटोग्राफ देगा
मुंबई क्रिकेट को लेकर मुझे शुरू से बहुत भरोसा रहा है। इसलिए मुंबई ले जाकर सोहम को ज्यादा क्रिकेट दिखाते थे। पहले दादाजी के साथ जाता था। बाद में मां के साथ जाने लगा। मैं मुश्ताक अली ट्रॉफी में अंपायरिंग के लिए गया था। तब मां के साथ सोहम भी आया था। मैं दिनभर का थका हुआ था। सोहन ने खेलने की जिद की। मैं ग्राउंड पर ले जाकर उसे बॉल डालने लगा। वो मैच नॉर्थ जोन से युवराज सिंह और हरभजन सिंह भी खेल रहे थे।
तब युवराज सिंह ने कहा कि लड़के में टैलेंट है। अगले दिन मां के साथ सोहम हरभजन सिंह का ऑटोग्राफ लेने गया। हरभजन सिंह ने पहचान लिया और कहा कि ये वही बच्चा है, जो कल क्रिकेट खेल रहा था। तब उन्होंने कहा था कि ये बच्चा तो खुद ऑटोग्राफ देगा। उन्होंने सोहम के साथ फोटो ली।
100 रन बनाने पर मिले 100 रुपए
सोहम के पिता एक किस्सा सुनाते हुए कहते हैं कि ये मुंबई में खेल रहा था। एक शख्स इसके पास आया। दो मिनट बात की और कुछ देकर चला गया। उस दिन 100 रन बनाए थे। पूछने पर बताया कि 100 रुपए दिए और कहा कि एक दिन बड़ा प्लेयर बनेगा।
पिछले साल मां कनकेश्वरी अंडर-18 क्रिकेट स्पर्धा में सोहम ने 107 रन बनाए थे।
कोविड के कारण अंडर 14 से सीधे अंडर 19
कोविड टाइम में दो साल देश में क्रिकेट नहीं हुआ। विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिए टीम घोषित हो गई थी। टीम जाने वाली थी। टूर्नामेंट पहले स्थगित हुआ फिर कैंसिल हो गया। अंडर 16 के बेस पर रहता है। सिलेक्टर्स में बातें होती हैं।
विराट, रोहित और ब्रायन लारा पसंद
सोहन को फिटनेस के लिए विराट कोहली पसंद हैं, और बैटिंग के मामले में रोहित शर्मा। बचपन में मैथ्यू हेडेन की बैटिंग का फैन था। लेकिन अब ब्रायन लारा के वीडियो बहुत देखने लग गया है। उसे पता चला है कि ग्रिप और बैटिंग स्टाइल लारा जैसा है, तो उन्हें फॉलो करता है।
फिलहाल सोहम बीबीए फर्स्ट ईयर में है। हाल ही में एग्जाम, लेकिन तब एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) कैंप आया। इस वजह से एग्जाम नहीं दे पाया। डीएवीवी से रिक्वेस्ट करेंगे कि स्पेशल केस में री-एक्जाम या कुछ राहत दी जाए ताकि साल खराब न हो।
जब 300 रन बनाने के बाद भी घर पर पड़ी डांट
सोहम के पिता बताते हैं, अंडर 18 का सिलेक्शन मैच था। मैं ऑफिस से मैच देखने गया। उसे (सोहम को) पसंद नहीं है कि पेरेंट्स मैच देखने आएं, इसलिए मैं जाता नहीं हूं। 300 रन बनाए, तब गया था। टी-टाइम के बाद मैच शुरू हुआ तो लापरवाही से सोहम रन आउट हो गया। सोचा कि घर पर बहुत तारीफ होगी कि 300 रन बनाए हैं। लेकिन फिर घर में सबकी डांट मिली।
उसे कहा कि जब 300 हो गए थे, सब परोसा हुआ था, तो 500 रन क्यों नहीं बनाए। बॉलर थक चुके थे। कहने लगा कि 300 बनाए हैं मैंने। फिर उसे कहा कि 300 रन के लिए बधाई है, लेकिन आप जिस ढंग से आउट हुए वो स्वीकार करने लायक नहीं है। भले ही जीरो पर आउट हो जाता। अच्छी बॉल पर आउट होता। 500 रन बनाकर आते तो मजा आता। ये लंबे समय तक खेलने की आपकी प्रैक्टिस को और मजबूत करता।
मां को फोन कर बोला- कैप्टन बन गया पर ब्लू जर्सी नहीं मिली
सोहम ने फोन कर कहा मैं कैप्टन हो गया हूं, लेकिन ब्लू जर्सी नहीं मिली। तब मैंने कहा कि कप्तानी मिली है ये बहुत बड़ी बात है। अच्छा परफॉर्म करो। आगे ब्लू जर्सी भी मिल जाएगी। उसे टेबल टेनिस खेलना पसंद था, लेकिन रुझान नहीं रहा। मजाक-मजाक में बोलता था कि लड़कियों वाला गेम नहीं खेलूंगा। मैं तो लड़कों का गेम क्रिकेट खेलूंगा।
उसे कोई भी स्पोर्ट्स खिला दीजिए, उतने ही हाई लेवल पर खेलेगा। मैंने कभी बैट पकड़ कर उसे टेबल टेनिस नहीं खिलाया। स्विमिंग भी अपने आप सीखा। उसकी छोटी बहन श्रावणी पटवर्धन टेबल टेनिस खेलती है। खाने में पानीपूरी पसंद है। मीठे में मूंग का हलवा, गुलाब जामुन खाता है। जंक फूड उसे पसंद नहीं है।
ये रहे सोहम के क्रिकेट कोच
स्कूल टाइम में ऋषि हेगड़े, अमल कोकजे कोच थे। देवाशीष निलोसे सर, अंडर 12,14 जोन में अमय खुरासिया कोच रहे। बॉलिंग के लिए नरेंद्र हिरवानी सर से हमेशा टच में रहता है। अभी चंद्रकांत पंडित सर के अंडर में है।
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दोनों हाथों से गेंदबाजी में माहिर हैं सोहम
अंडर 19 टीम का कप्तान इंदौर के सोहम पटवर्धन को बनाया गया है।
क्रिकेटर सोहम पटवर्धन बल्लेबाजी के साथ-साथ दोनों हाथ से गेंदबाजी करते हैं। बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं। सोहम दाएं हाथ से आफ स्पिन और बाएं हाथ से ऑर्थोडॉक्स गेंदबाजी करते हैं। सोहम के पिता निखिल पटवर्धन भी पूर्व रणजी क्रिकेटर हैं। सोहम ने कूच बिहार ट्रॉफी सहित कई टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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