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अनाज मंडी में एकजुट हुए कार्मचारी।
हरियाणा के हिसार की अनाज मंडी में पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के आह्वान पर कर्मचारियों द्वारा प्रदेश स्तरीय रैली का आयोजन किया गया।
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इसमें हिसार,सिरसा,भिवानी, जींद, चरखी दादरी, फतेहाबाद सहित पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से विभिन्न विभाग के कर्मचारी पहुंचे। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर आगामी 8 सितंबर को रोहतक में कार्यक्रम है।
इसके बाद OPS तिरंगा यात्रा कार्यक्रम के तहत अनाज मंडी से हजारों की संख्या में कर्मचारी बस स्टैंड, नागोरी गेट,परिजात चौक होते हुए क्रांति मान पार्क में पहुंचे। वहां पर चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति पर माल्यार्पण कर यात्रा को समाप्त किया।
राज्य महासचिव ऋषि नैन ने कहा कि हरियाणा के कर्मचारियों ने वोट फॉर ओपीएस की ताकत लोकसभा चुनावों में सरकार को दिखा दी है। अब हरियाणा में वही सरकार सत्ता में आएगी जो ओपीएस को लेकर आएगी।
आरपार के मूड में कर्मचारी
उन्होंने यूपीएस को लेकर कहा कि सरकार और उसके मंत्री यूपीएस को अच्छा बता रहे हैं, तो यूपीएस लाने की जरूरत ही क्या थी। ओपीएस ही लागू कर देती। कर्मचारियों ने सरकार से यूपीएस की मांग ही नहीं की थी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लाखों कर्मचारी अब आरपार के मूड में हैं।
इस मौके पर हिसार जिला प्रधान दिनेश पाबड़ा ने इस प्रदर्शन में पहुंचे सभी जिलों के हजारों कर्मचारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह जोश हमें बरकरार रखना है। विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत का अहसास करवाना है।
उन्होंने कहा कि वोट फॉर ओपीएस की मुहिम के लिए कर्मचारी अपने सभी निजी हितों को पीछे रखते हुए वोट की चोट से सरकार को अपनी ताकत का एहसास करवाने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने राज्य प्रधान व राज्य महासचिव को विश्वास दिलवाया कि हिसार के हजारों कर्मचारी ओपीएस लागू होने तक इसी प्रकार आंदोलन के लिए हर समय तैयार रहेंगे।
ओपीएस बहाली तक जारी रहेगा आंदोलन
उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब यूपीएस व एनपीएस की खामियां को देखकर सरकार को वापस ओपीएस का बहाल करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पैंशन बहाली संघर्ष समिति के आंदोलन के दबाव की बदौलत हरियाणा के मुख्यमंत्री को चुनावों के निर्धारित समय से एक महीना पहले आचार संहिता लगवाकर कुर्सी छोड़कर भागना पड़ा।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन ओपीएस बहाली तक यूंही जारी रहेगा। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि हरियाणा के कर्मचारियों ने लोकसभा चुनावों में वोट फॉर ओपीएस की चोट करके वर्तमान सरकार को पांच सीटों पर सिमटा दिया था, वही वोट फॉर ओपीएस की मुहिम विधानसभा चुनावों में भी जारी रहेगी।
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