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Colombo Security Conclave: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल दो दिन की यात्रा पर श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (सीएससी) में हिस्सा लिया. साथ ही हिंद महासागर की सुरक्षा को लेकर साझा पहल पर चर्चा की. कोलंबो यात्रा के दौरान अजीत डोभाल ने श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की.
श्रीलंका में 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले अजीत डोभाल का पहुंचना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ‘कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव’ में शामिल होने आए डोभाल ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे, प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने, मुख्य विपक्षी नेता सजित प्रेमदास और मार्क्सवादी जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके से भी मुलाकात की.
कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में चीन सबसे बड़ा मुद्दा
चीन जमीन के साथ ही समुद्र में भी अपना कब्जा बढ़ाता जा रहा है, ऐसे में चीन पर नजर रखना इस बैठक का अहम हिस्सा है. भारत के पास स्ट्रेटेजिक चोकपॉइंट्स वाले द्वीपों के अलावा 7500 किलोमीटर की लंबी समुद्री तटरेखा है. ऐसे में भारत के लिए कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. चीन हिंद महासागर में लगातार अपनी गतिविधि बढ़ा रहा है, ऐसे में पड़ोसी देशों के सहयोग से भारत को काफी सहूलियत मिलती है.
श्रीलंका में डोभाल ने आर्थिक सुरक्षा पर की चर्चा
श्रीलंका के राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग (पीएमडी) ने कहा कि डोभाल ने आज सुबह राष्ट्रपति सचिवालय में विक्रमसिंघे से मुलाकात की. उन्होंने श्रीलंका और भारत के बीच जारी आर्थिक सहयोग पर चर्चा की. पीएमडी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार सागला रत्नायके भी बैठक में शामिल हुए. प्रधानमंत्री कार्यालय में गुरुवार रात प्रधानमंत्री गुणवर्धने के साथ अपनी बैठक के दौरान डोभाल ने कहा कि भारत और श्रीलंका के लिए आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने की अपार संभावनाएं हैं.
न्यूज पोर्टल अडाडेराना की रिपोर्ट में कहा गया, ‘’डोभाल ने श्रीलंका के साथ सहयोग को और आगे बढ़ाने की भारत की इच्छा व्यक्त की तथा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर प्रधानमंत्री के विचार मांगे.’
श्रीलंका में ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा भारत
श्रीलंकाई पीएमओ ने बैठक के बाद एक बयान में कहा, सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में वितरण और भारतीय निवेश को बढ़ाया जा सकता है. डोभाल ने कहा कि कुछ समय बाद, श्रीलंका अपनी घरेलू आवश्यकता से अधिक बिजली पैदा कर सकता है और भारत को अतिरिक्त बिजली बेच सकता है और भारी वित्तीय लाभ प्राप्त कर सकता है. उन्होंने बताया कि भूटान बड़ी मात्रा में जल विद्युत बिजली भारत को बेच रहा है और इससे उस देश को सबसे बड़ा राजस्व मिलता है.
कब हुई थी इसकी शुरुआत
कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव की बात करें तो इसकी शुरुआत साल 2011 में हुई थी. शुरुआत में इस संगठन में तीन देश भारत, श्रीलंका और मालदीव शामिल थे. बाद में एक और देश मॉरीशस भी इसमें शामिल हो गया. बांग्लादेश को भी इस संगठन में ऑब्जर्वर के तौर पर रखा गया है. सीएसी एक ऐसी हाई लेवल की बैठक है, जिसमें इन देशों की सुरक्षा को लेकर चर्चा होती है और आगे की रणनीति तय की जाती है.
इसकी शुरुआत ही काफी अमह मुद्दे लेकर हुई थी, मौजूदा समय में पांच बिंदु ऐसे हैं, जिनपर इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा होती है. इन पांच मुद्दों में आतंकवाद, तस्करी, साइबर सिक्योरिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीक की सुरक्षा है. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा चीन का है. इस कॉनफ्रेंस के जरिए चीन पर नजर रखने को लेकर सबसे अहम चर्चा होती है, क्योंकि चीन सभी देशों के लिए खतरनाक है.
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