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गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार।
इस साल 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिलेभर में जगह-जगह गणेश प्रतिमाओं को स्थापित किया जाएगा। इसे लेकर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों ने मूर्तियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। जल्द ही लोगों इनकी खरीदारी शुरू कर
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मूर्तिकार पन्नाराम ने बताया कि लगभग सभी मूर्तियां बन चुकी हैं। प्रतिमाओं पर रंग रोगन का कार्य चल रहा है। पन्नाराम ने बताया कि करीब 6 महीने पहले से ही मूर्तियां बनाने का कार्य उन्होंने शुरू किया था, जो अब जाकर पूरा हुआ है। वहीं, मूर्तिकार लक्ष्मण ने बताया कि यहां डेढ़ फीट से लेकर भी 15 फिट तक कि मूर्तियां उपलब्ध है। सभी अलग-अलग साइज की मूर्तियों की कीमत भी अलग-अलग है।
डेढ़ फीट से लेकर भी 15 फिट तक कि मूर्तियां उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से मूर्तियां बनाने के कार्य कर रहे है, इन्हीं से उनका घर खर्च चल रहा है। मूर्तिकार अपने पूरे परिवार सहित मूर्ति बनाने का कार्य करते है, इसमें उनके छोटे छोटे बच्चे और महिलाएं भी पूरा सहयोग करती है।
लक्ष्मण ने बताया कि मूर्ति बनाने के कार्य में थोड़ी मेहनत लगती है, बारीक काम होने के कारण समय अधिक लगता है। अभी सभी काम पूरा हो चुका है और मूर्तियों की खरीददारी शुरू कर दी गई है। वहीं, कई मूर्तियों की बुकिंग भी हो चुकी है।
परिवार सहित मूर्तियां बनाने में जुटते है मूर्तिकार
मूर्तिकार लक्ष्मण ने बताया- वह उदयपुर के रहने वाले हैं। वह पूरे परिवार सहित मूर्ति बनाने का कार्य करते हैं। उनके बच्चे और पत्नी सहित दिन रात इसी कार्य में जुटे रहते हैं। लक्ष्मण ने बताया कि लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है। ऐसे में रोजी रोटी कामना मुश्किल होता जा रहा है। मूर्तिकार का कार्य वह लंबे समय से परिवार सहित करते आ रहे है। इसी से घर खर्च चल जाता है। वही, मूर्ति कारीगर पन्नराम ने बताया कि वह भी करीब 10 साल से मूर्तिकार का कार्य कर रहे है। ऐसे में इस बार उन्हें अच्छी कमाई होने के आसार है। लॉकडाउन के बाद वह आर्थिक समस्या से जूझ रहे थे, लेकिन अब फिर से धीरे-धीरे उन्हें काम मिलने लगा है।
परिवार सहित मूर्ति बनाने के काम में जुटे मूर्तिकार।
ऐसे बनाई जाती है गणेश मूर्तियां
मूर्तिकार बताते है कि मूर्तियां बनाने में काफी मेहनत लगती है। इसमें नारियल का भूसा, बांस, प्लास्टर, पीओपी का उपयोग किया जाता है। फिर अलग अलग डिज़ाइन की मूर्तियां बनाते हैं। फिर इन्हें कुछ समय तक सुखाया जाता है। इसके बाद इनको रंग रोगन का कार्य किया जाता है। इस काम को करने में बड़ी संख्या में कारीगर लगते है। जो दिन रात कार्य करते है, तब जाकर कार्य पूरा हो पाता है।
इस बार नार्मल है मूर्तियों के दाम
मूर्तिकार लक्ष्मण ने बताया – इस बार मूर्तियों के दाम ज्यादा नहीं है। पिछले बार की तुलना में इस बार मूर्तियों के दामों में कोई अंतर नहीं आया है। इसके कारण बिक्री होने के भी अच्छे आसार है। इस बार घरों में स्थापित करने वाली छोटी मूर्तियों की कीमत 100, 200, 500 से 1 हजार रुपए तक है। वहीं, बड़ी मूर्तियों की कीमत 8 हजार, 10 हजार, 12 हजार, 15 हजार तक तय की गई है।
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