[ad_1]
कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने रैवासा जाकर स्वामी राघवाचार्य वेदांती के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि समर्पित की।
रामानंद संप्रदाय की ऐतिहासिक सिद्ध अग्रदेवाचार्य पीठ, रैवासा के स्वामी राघवाचार्य वेदांती के देवलोक गमन पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि सभा हुई। प्रवक्ता शास्त्री कोसलेंद्रदास ने बताया शिक्षकों, अधिकारियों और
.
विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि सभा के बाद आधे दिन अवकाश रहा। कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने कहा कि भारतीय दर्शन के गंभीर अध्ययन से वेदांती उपाधि से विभूषित स्वामी राघवाचार्य ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से वेदांत में प्रथम स्थान प्राप्त कर गाेल्ड मेडल प्राप्त किया था। काशी के दक्षिणामूर्ति संन्यास आश्रम में उन्होंने न्याय शास्त्र, व्याकरण और वेदांत का अध्ययन किया।
उन्हाेंने रैवासा धाम में वेद विद्यालय की स्थापना कर हजाराें छात्राें व नागरिकों काे सनातन धर्म की शिक्षा व संस्काराें से जोड़ा। राजस्थान संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष रहते हुए वेद विद्यालय स्थापित किए। जुलाई में ही राज्य सरकार ने उन्हें जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की कार्य परिषद का सदस्य बनाया था। महाराज ने अनेक ग्रंथाें का लेखन व प्रकाशन करवाकर संस्कृत भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके निधन से संस्कृत विद्वानों को गहरा आघात पहुंचा है। निश्चित ही उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए संस्कृत से जुड़े लोगों को परिश्रम करना चाहिए, यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शोक संदेश का वाचन कुलसचिव प्रियव्रत सिंह चारण ने किया।
श्रद्धांजलि सभा के बाद कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे, शास्त्री कोसलेद्रदास, डॉ. शंभु कुमार झा, डॉ. राजधर मिश्र, डॉ. शशि कुमार शर्मा और डॉ. सुभाष शर्मा ने रैवासा जाकर महाराज के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि समर्पित की।
[ad_2]
Source link