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India-Bangladesh Relation: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करना महत्वपूर्ण है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के साथ शुरू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति द्विपक्षीय संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती है.
बीएनपी में दूसरे नंबर के नेता आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंधों को लेकर इच्छुक है. उन्होंने कहा कि वह पिछले मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए तैयार हैं. आलमगीर ने यह भी आश्वासन दिया कि बीएनपी बांग्लादेशी सरजमीं पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देगी, जिससे भारत की सुरक्षा के समक्ष खतरा पैदा हो.
‘भारत ने BNP से बताचीत नहीं की’
आलमगीर ने कहा कि जन आक्रोश के बीच हसीना सरकार के पतन के बाद भी भारत सरकार ने अभी तक बीएनपी से बातचीत नहीं की है, जबकि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान पहले ही बात कर चुके हैं.’’ उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक आंतरिक मामला है.
बीएनपी नेता ने कहा कि हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें सही नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित थीं. उन्होंने कहा, ‘‘शेख हसीना को खुद और अपनी सरकार की ओर से किए गए सभी अपराधों और भ्रष्टाचार के लिए बांग्लादेश के कानून का सामना करना पड़ेगा. इसे संभव बनाने और बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए.’’
बांग्लादेश में पांच अगस्त को सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर पहुंच गया, जिसके कारण शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत जाना पड़ा. भारत में तीन हफ्तों से अधिक समय से हसीना की मौजूदगी ने बांग्लादेश में अटकलों को बढ़ावा दिया है.
भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर क्या बोले बीएनपी नेता?
बीएनपी नेता ने कहा, ‘‘हम भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं और बांग्लादेश में हसीना की वापसी सुनिश्चित करना द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय होगा. शेख हसीना और अवामी लीग दोनों की यहां निंदा की जाती है और उनका साथ देने से बांग्लादेश में भारत के बारे में धारणा और खराब होगी.’’
आलमगीर ने कहा कि अगर भारत हसीना की बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यहां पहले ही भारत के खिलाफ गुस्सा है, क्योंकि उसे शेख हसीना की निरंकुश सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता है. अगर आप बांग्लादेश में किसी से भी पूछेंगे, तो वह यही कहेगा कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया.’’
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से शुक्रवार (30 अगस्त 2024) को पूछा गया था कि क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध किया है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. जायसवाल ने कहा था, ‘‘बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री सुरक्षा कारणों से ऐन मौके पर दी गई सूचना के तहत भारत आईं. हमारे पास इस मामले पर कहने के लिए और कुछ नहीं है.’’
बांग्लादेश में इंडिया आउट अभियान के बारे में पूछे जाने पर आलमगीर ने कहा कि भारत के खिलाफ साफ तौर पर गुस्सा है, क्योंकि उसने कभी भी देश के लोगों के साथ संबंध स्थापित करने की जहमत नहीं उठाई, बल्कि वह केवल अवामी लीग के साथ रिश्ते कायम करके संतुष्ट था.
भारत की कूटनीति व्यावहारिक नहीं- BNP नेता
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश को लेकर भारत की कूटनीति व्यावहारिक नहीं थी. उसने बांग्लादेश के लोगों और अन्य हितधारकों के साथ संबंध स्थापित नहीं किए, बल्कि केवल एक ही पक्ष के साथ रिश्ते बनाए. भारत को बांग्लादेश के लोगों की नब्ज समझनी होगी. अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और गलतफहमियों और पूर्व मतभेदों को हल करने की कोशिश करेगी.”
आलमगीर ने कहा, ‘‘हमें बात करनी होगी, क्योंकि मुद्दों को सुलझाने के लिए यही व्यावहारिक कूटनीति होगी. बांग्लादेश में इतनी बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भी भारत ने हमारे साथ कोई बातचीत शुरू नहीं की है. पाकिस्तान, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के उच्चायुक्तों और राजदूतों ने हमसे संपर्क किया और बात की है, लेकिन भारत की ओर से कोई बातचीत नहीं की गई है.”
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